छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: श्रीमद् भागवत कथा के व्याख्याकार आचार्य अतुल कृष्ण भारद्वाज ने समाज का परिवर्तन शास्त्र से नहीं बल्कि शास्त्र से हो सकता है। महर्षि वाल्मीकि के अतीत से जुड़े प्रसंग पर बोलते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके जीवन को अच्छे विचारों और आचरण ने बदलने का काम किया। धर्म के सभी लक्षण के प्रतीक श्री राम है।
कोरबा के मेहर वाटिका में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए अतुल कृष्ण भारद्धाज ने यह बात कही। ठंडूराम परिवार के द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के लिए आचार्य भारद्वाज का कोरबा प्रवास हुआ है।
पत्रकारों से संवाद करते हुए आचार्य भारद्वाज ने धर्म का उद्देश्य मानव जीवन को सही अर्थों में जीने की विषय वस्तु को सीखने सिखाने का है। उन्होंने कहां की सनातन धर्म की अवधारणा सहस्त्र वर्षों की है देश और दुनिया में किया जा रहा है। सबसे बड़ा शाश्वत सत्य यह है कि मनु और शतरूपा से ही सृष्टि का शुभारंभ हुआ है। दूसरे संप्रदाय अलग-अलग देने में लगे हुए हैं लेकिन वास्तविक तथ्य सनातन के पक्ष में है।
छत्तीसगढ़ और देश के बड़े हिस्से में धर्मांतरण के के कारण बढ़ रहे संकट को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार की दूसरी शक्तियां हर दौर में काम करती रही। आदिकाल से यह धरती देवासुर संग्राम की धरती रही है यहां पर देव और दानव के बीच संगम होता रहा है। लेकिन इस प्रकार की परिस्थितियों के बीच लोक जागरूक हो रहे हैं।
विज्ञान और पत्रकारिता में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त आचार्य अतुल कृष्ण भारद्वाज ने बताया कि डिजिटल क्रांति के दौरान कई प्रकार के परिवर्तन और प्रयोग हो रहे हैं। इसके कुछ अच्छे परिणाम है तो दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं। आचार्य भारद्वाज ने वर्तमान कालखंड में मौजूद विभिन्न प्रकार का उल्लेख करते हुए लोगों को सचित्र रहने का आव्हान भी किया।
आचार्यश्री के पत्रकार वार्ता में बिरजू अग्रवाल,हनुमान अग्रवाल, गोपी अग्रवाल, महेश अग्रवाल,संजय अग्रवाल, नरेश गर्ग सहित ठण्डुराम परिवार के जजमान उपस्थित थे ।
Editor in Chief