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रॉड से पीटा, ऊपर पेशाब किया..क्या है सरपंच संतोष देशमुख हत्याकांड? जिसकी वजह से गई मंत्री धनंजय मुंडे की कुर्सी

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मुम्बई/स्वराज टुडे: बीड के एक गांव के सरपंच संतोष देशमुख हत्याकांड का मामला महाराष्ट्र में राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। इस मर्डर केस की वजह से धनंजय मुंडे को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा है। आइए जानते हैं क्या सरपंच संतोष देशमुख हत्याकांड से जुड़ा वो मामला जिसकी वजह से मुंडे की कुर्सी चली गई।

अपहरण के बाद संतोष देशमुख की हत्या हुई

दरअसल, 9 दिसंबर को महाराष्ट्र के बीड के एक गांव के सरपंच संतोष देशमुख का अपहरण कर लिया गया था। आरोप है कि उन्हें कई घंटों तक प्रताड़ित किया गया और फिर उन्हें मृत समझकर छोड़ दिया गया। उनकी हत्या के बाद की जांच में पता चला कि उन्हें रॉड से पीटा गया और उनके साथ अकल्पनीय क्रूरता की गई। आरोप है कि सरपंच की बेरहमी से पिटाई के बाद पेशाब भी पिलाई गई थी।

संतोष देशमुख को रास्ते से हटाने का बना प्लान

जांच में पाया गया कि संतोष देशमुख ने क्षेत्र में संचालित एक पवनचक्की ऊर्जा फर्म को निशाना बनाकर की जा रही जबरन वसूली को रोकने की कोशिश की थी और उनकी हत्या का मास्टरमाइंड मुंडे का सहयोगी वाल्मिक कराड था। पवन ऊर्जा क्षेत्र के कारण पिछले कुछ वर्षों में बीड और आसपास के जिलों में लोगों का कारोबार बढ़ा है। स्थानीय अपराधियों ने इसमें अवसर ढूढ़ा, जिसके कारण जबरन वसूली और अपहरण की घटनाएं बढ़ गई हैं।

पुलिस के अनुसार, हत्या के मामले में एक अन्य आरोपी विष्णु चाटे ने मुंडे के सहयोगी और स्थानीय राजनीतिक दिग्गज वाल्मिक कराड के कहने पर अवाडा के अधिकारियों को फोन किया था और 2 करोड़ रुपये की मांग की थी। अधिकारियों को धमकी दी गई थी कि अगर उन्होंने भुगतान नहीं किया तो कंपनी को परिचालन बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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संतोष देशमुख थे लोकल हीरो

स्थानीय सरपंच संतोष देशमुख को डर था कि धमकियों और जबरन वसूली के कॉल के कारण अवाडा और इसी तरह की अन्य फर्में मस्साजोग में परिचालन बंद कर सकती हैं और इससे स्थानीय निवासियों की आजीविका प्रभावित होगी। इसे रोकने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर उन्होंने मुकाबला किया। हत्या से तीन दिन पहले 6 दिसंबर को कुछ लोगों ने अवाडा के स्थानीय कार्यालय में कुछ कर्मचारियों की पिटाई की। संतोष देशमुख और अन्य लोग मौके पर पहुंचे और इसे रोकने की कोशिश की।

पुलिस के अनुसार, आरोपियों को लगा कि संतोष देशमुख उनकी योजनाओं के आड़े आ रहा है और उन्होंने उसे खत्म करने का फैसला किया। वाल्मिक कराड ने कथित तौर पर अन्य आरोपियों से कहा कि जो भी जबरन वसूली की कोशिश में आड़े आए, उसे खत्म कर दें। देशमुख को कई बार धमकाया गया। जब वह नहीं माना, तो 9 दिसंबर को उसका अपहरण कर लिया गया और उसकी हत्या कर दी गई। पुलिस ने जांच पाया कि घुले, कराड और विष्णु चाटे देशमुख की हत्या से पहले और बाद में एक-दूसरे के संपर्क में थे।

क्रूर यातना वाले वीडियो सामने आए

संतोष देशमुख को 9 दिसंबर की दोपहर को डोंगाँव टोल प्लाजा पर एक एसयूवी में छह लोगों ने अगवा कर लिया और केज तालुका की ओर ले गए। वह उस शाम दैथना शिवर में बेहोश पाया गया। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उसे मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, उसे दो घंटे से अधिक समय तक गैस पाइप, लोहे की रॉड, लकड़ी के डंडों और धारदार हथियारों से पीटा गया।

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आरोपपत्र में सामने आई कई चौंकाने वाली बात

पुलिस ने आरोपपत्र में कहा है कि संतोष देशमुख को मारने से पहले उन्हें प्रताड़ित किया गया था और हमलावरों ने 15 वीडियो रिकॉर्ड किए, आठ तस्वीरें खींचीं और क्रूरता को रिकॉर्ड करने के लिए दो वीडियो कॉल भी किए। घटना से संबंधित एक वीडियो में पांचों आरोपी देशमुख को एक सफेद पाइप और लकड़ी के डंडे से पीटते और लात-घूंसे मारते हुए दिखाई दे रहे हैं। वीडियो में देशमुख को अर्धनग्न अवस्था में दिखाया गया है। आरोपपत्र में कहा गया है कि एक अन्य वीडियो में एक आरोपी देशमुख पर पेशाब करता हुआ दिखाई दे रहा है, जबकि उनका खून बह रहा है।

क्यों आई इस्तीफा देने की नौबत

इस खौफनाक हत्याकांड के मुख्य आरोपी वाल्मिक कराड, एनसीपी नेता और तत्कालीन मंत्री धनंजय मुंडे के करीबी सहयोगी हैं। जांच के दौरान जब कराड की इस चौंकाने वाली हत्या में कथित भूमिका सामने आई तो विपक्ष ने कार्रवाई की मांग शुरू कर दी। सीआईडी की 1,200 पन्नों की चार्जशीट ने विपक्ष को और भी हथियार मुहैया करा दिए। देशमुख के साथ हुई क्रूरता को दर्शाने वाले भयावह दृश्य सोशल मीडिया और टीवी स्क्रीन पर आने लगे, जिसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पर ध्यान दिया।

सूत्रों के अनुसार, सीएम फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री अजीत पवार से मुलाकात की और आरोपपत्र के राजनीतिक नतीजों और कराड की कथित भूमिका के बारे में जांच में क्या सामने आया, इस पर चर्चा की। इसके बाद मुंडे को इस्तीफा देने के लिए कहा गया।

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Deepak Sahu

Editor in Chief

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