रुबिया सईद ने अदालत में की यासीन मलिक समेत 4 आतंकियों की पहचान, कहा- इन्हीं चारों ने किया था मेरा अपहरण

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जम्मू/स्वराज टुडे:  पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद अपने अपहरण मामले में 30 साल बाद अदालत में पेश हुईं। बंद कमरे में रूबिया ने इस मामले में करीब 6 घंटे तक अपने बयान दर्ज करवाए।

इसमें रूबिया ने जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के सरगना यासीन मलिक समेत चार आतंकियों की पहचान की। अदालत को बताया कि उसके अपहरण में यह चार लोग शामिल थे, जिन्हें वह पहचानती है। 8 दिसंबर 1989 को रूबिया का अपहरण हुआ था। आरोप है कि रूबिया का अपहरण यासीन मलिक ने अपने साथियों संग किया।

मुझे बस से बाहर फेंकने की दी गई धमकी

मामले में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये शामिल हुए यासीन मलिक को रूबिया ने पहचान लिया। उसने जज से कहा कि यही वह शख्स है और इसका नाम यासीन मलिक है। इसने ही मुझे धमकी थी कि यदि उसके बताए अनुसार चलने से मैंने इन्कार किया तो मिनी बस से उठाकर फेंक देगा। बाद में उसने फोटो के जरिये भी उसकी शिनाख्त की।

सीबीआई ने समन जारी कर जम्मू की टाडा कोर्ट में बुलाया था

सीबीआई की वकील मोनिका कोहली ने बताया कि फिलहाल तमिलनाडु में रह रहीं रूबिया को सीबीआई ने समन जारी कर जम्मू की टाडा कोर्ट में बुलाया था। उन्होंने बताया कि यासीन के अलावा इस केस में अली मोहम्मद मीर, मोहम्मद जमां मीर, इकबाल अहमद गांदरू, जावेद अहमद मीर, मोहम्मद रफीक, मंजूर अहमद सोफी, वजाहत बशीर, मेहराज उद दीन शेख और शौकत अहमद बख्शी भी आरोपी हैं।

अपहरण मामले में 10 आरोपी बनाए गए हैं

कुल 10 आरोपी बनाए गए हैं। इनमें से चार की पहचान रूबिया ने की है। शुक्रवार सुबह 10:30 बजे रूबिया टाडा कोर्ट में पेश हुईं। अदालत पहुंचते ही दरवाजा बंद कर लिया गया और बंद दरवाजे में सुनवाई शुरू कर दी गई। यहां केस से जुड़े गवाहों के अलावा संबंधित वकील ही मौजूद रहे। रूबिया के अलावा डॉ. शहनाज और एक अन्य गवाह के तौर पर शामिल हैं। तीनों को टाडा कोर्ट ने बुलाया था।

रूबिया को अपहरणकर्ताओं की तस्वीरें दिखाई गईं

रूबिया की ओर से वकील अनिल सेठी कोर्ट में पहुंचे। सुनवाई के बाद उन्होंने पत्रकारों को बताया कि रूबिया को अपहरणकर्ताओं की तस्वीरें दिखाई गईं। इसमें उन्होंने चार की पहचान कर ली है। उल्लेखनीय है कि 29 जनवरी 2021 को टाडा कोर्ट ने यासीन को इस मामले में आरोपी करार दिया था।

यासीन मलिक ने अदालत में पेश होने की मांगी अनुमति

हालांकि यासीन मलिक ने भी 13 जुलाई को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेश होते हुए अर्जी दायर की है कि उसको निजी तौर पर अदालत में पेश किया जाए और अदालत में सबके सामने उसके बयान लिए जाएं। यदि उसे व्यक्तिगत तौर पर पेश होने की अनुमति नहीं दी गई तो वह भूख हड़ताल करेगा। उसने कोर्ट से कहा है कि वह सरकार के जवाब का 22 जुलाई तक इंतजार करेगा, इसके बाद भूख हड़ताल करेगा। ज्ञात हो कि यासीन को टेरर फंडिंग मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।

अगली सुनवाई 23 अगस्त को

सीबीआई के वकील ने कहा कि 1989 में हुए अपहरण के मामले में गवाह रूबिया सईद (पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बहन) का बयान अदालत में दर्ज किया गया। उसने यासीन मलिक को पहचान लिया है। सुनवाई की अगली तारीख 23 अगस्त है।

यह था मामला

8 दिसंबर 1989 को श्रीनगर के सदर पुलिस स्टेशन में रूबिया के अपहरण की शिकायत दर्ज कराई गई। बताया गया कि रूबिया सईद मिनी बस में ललदद अस्पताल श्रीनगर से नौगाम स्थित अपने घर जा रही थी। मिनी बस लाल चौक से श्रीनगर के बाहरी इलाके नौगाम की तरफ जा रही थी। जब मिनी बस छानपोरा चौक के पास पहुंची तो उसमें सवार तीन लोगों ने बंदूक निकाली और बस को रोक दिया।

उसे मिनी बस से उतारा गया और बाहर खड़ी नीले रंग की कार में बिठा दिया गया। इसके बाद उसे पता नहीं चला कि कार कहां लेकर गई। करीब दो घंटे के बाद लिब्रेशन फ्रंट के आतंकी जावेद मीर ने एक अखबार में फोन किया। जानकारी दी कि उन्होंने रूबिया का अपहरण कर लिया है। बाद में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। 18 सितंबर, 1990 को जम्मू की टाडा कोर्ट सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया।

रूबिया के बदले पांच आतंकी छोड़े

डॉ. रूबिया सईद को रिहा करने के बदले लिब्रेशन फ्रंट ने पांच आतंकियों को छोड़ने की मांग की। अपहरण के 122 घंटे बाद 13 दिसंबर को सरकार ने पांच आतंकियों हामिद शेख, अल्ताफ अहमद भट, नूर मोहम्मद, जावेद अहमद जरगर व शेर खान को रिहा किया।

इसके बाद रूबिया को छोड़ा गया। उसी रात विशेष विमान से रूबिया सईद को दिल्ली ले जाया गया जहां हवाई अड्डे पर तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद समेत परिवार के अन्य सदस्य मौजूद थे। बता दें कि पहले 20 आतंकियों की रिहाई की मांग की गई थी, लेकिन बाद में इसे कम करके सात आतंकियों की रिहाई की मांग की। अंत में रूबिया की रिहाई के बदले में पांच आतंकियों को छोड़ा गया।

कई आरोपी स्वीकार कर चुके हैं जुर्म

सीबीआई के सामने मामले की जांच के दौरान आरोपी अली मोहम्मद मीर, जमां मीर तथा इकबाल गांदरू ने मजिस्ट्रेट के सामने अपहरण में अपना जुर्म कबूल कर लिया था। अन्य चार आरोपियों ने सीबीआई पुलिस अधीक्षक के साथ जुर्म कबूल करने का बयान दर्ज कराया था। इन सभी के बयान को यासीन मलिक, जावेद अहमद मीर तथा मेहराजुद्दीन शेख के खिलाफ साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। इस मामले में 22 आरोपी हैं जिसमें से दस के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल किया है।

कुछ आरोपियों की हो चुकी है मौत

जेकेएलएफ कमांडर मोहम्मद रफीक डार व मुश्ताक अहमद लोन मर चुके हैं, जबकि 12 भगोड़ा हैं। इसनमें हलीमा, जावेद इकबार मीर, मोहम्मद याकूब पंडित, रियाज अहमद भट, खुर्शीद अहमद डार, बशारत रहमान नूरी, तारिक अशरफ, शफत अहमद शांगलू, मंजूर अहमद, गुलाम मोहम्मद टपलू, अब्दुल मजीद भट तथा सिार अहमद भट शामिल हैं। मार्च 2020 में विशेष कोर्ट ने जेकेएलएफ सरगना तथा छह अन्य के खिलाफ जनवरी 1990 में चार एयरफोर्स कर्मियों की हत्या मामले में आरोप तय किया था।

दीपक साहू

संपादक

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