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भारत में अवैध रूप से घुसने की कीमत मात्र 5 हजार ! जानिए कैसे खुला ये राज

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नई दिल्‍ली/स्वराज टुडे: एक महिला और तीन पुरुषों ने अवैध रूप से भारत देश में एंट्री कर ली. बगैर पेपर बॉर्डर पार कर बचते बचाते शहर तक पहुंच गए. यहां से जल्‍दी-जल्‍दी दूर जाने के लिए रेलवे स्‍टेशन गए और वहां से ट्रेन पकड़कर दिल्‍ली के लिए सवार हो गए.

मुखबिर से इसकी सूचना आरपीएफ और बीएसएफ को मिली. दोनों ने मिलकर संयुक्‍त ऑपरेशन चलाया और रास्‍ते में ट्रेन की जांचकर चारों को पकड़ लिया. आरपीएफ कानूनी कार्रवाई कर रही है.

रेलवे बोर्ड के एग्‍जीक्‍यूटिव डायरेक्‍टर इनफॉरमेशन एंड पब्लिसिटी दिलीप कुमार के अनुसार बंग्‍लादेश से बॉर्डर पारकर चार लोग देश में एंट्री कर ली. इसकी सूचना 97 बीएन बीएसएफ को मिली. यह भी पता चला कि चारों ट्रेन नंबर 14619 त्रिपुरा सुंदरी एक्‍सप्रेस से सभी दिल्‍ली जाने के लिए सवार हो गए हैं. बीएसएफ एक्टिव हो गयी और उसने भारतीय रेलवे से संपर्क किया. रेलवे ने आरपीएफ को जानकारी दी. इसके बार आरपीएफ और बीएसएफ दोनों मिलकर अभियान चलाने की रूप रेखा बना दी.

ट्रेन की तलाशी लेकर पकड़ा गया

फिर दोनों टीमों ने धर्मानगर रेलवे स्‍टेशन में ट्रेन की सघन जांच की. एक एक कोच में घुसकर बारीकी से जांच में चारों को पकड़ लिया गया. चारों बंग्‍लादेश के नागरिक हैं. पकड़े गए लोगों के नाम फैजर, हनीफा, रब्‍बी और हल्‍हा बेगम हैं.

दलाल के माध्‍यम से आए थे

पूछताछ में बताया कि दलाल को 5000 रुपये प्रति व्‍यक्ति देकर सेफाहीजाला जिला से बॉर्डर पार किया है. चारों चोरी छिपे किसी तरह शहर तक पहुंचे. दलाल के संबंध में इन लोगों को कोई भी जानकारी नहीं है. उन्‍होंने बताया कि पैसे लेकर और सीमा पार कराकर चला गया. इसलिए उनके संबंध में कोई जानकारी नहीं है. हालांक‍ि बीएसएफ दलाल के संबंध में जानकारी इकट्ठा कर रही है. पूछताछ में बताया कि चारों ट्रेन से दिल्‍ली जाना चाह रहे थे. यहां पर कहीं भी रह कर कोई छोटा मोटा काम करना शुरू कर देते हैं. लेकिन आरपीएफ ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया.

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बांग्लादेशी घुसपैठिए देश के हर हिस्से में बसे : केलकर

भाषा से कोई उन्हें नहीं पकड़ सकता। वह हमारी जैसी भाषा बोलते हैं हमारे जैसे दिखते हैं लेकिन भारत की सारी सोशल वेलफेयर स्कीमों और हमारे टैक्सपेयर के पैसे से मिलने वाली सहूलियतें कब्जा रहे हैं। इससे देश पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है। इसके अलावा ये बहुत बड़े पैमाने पर स्लीपर सैल के तौर पर काम कर रहे हैं। देश में जाली करंसी हो या नशे की तस्करी। बांग्लादेशी इसमें भी सक्रिय हैं।

‘भारतीयबनकर बड़ी तादात में बांग्लादेशी घुसपैठिए जालंधर और लुधियाना में भी बस चुके हैं। असम, महाराष्ट्र, दिल्ली, उड़ीसा, मध्यप्रदेश और भारत के सभी राज्यों में बांग्लादेशी भेष बदलकर देश को दीमक की तरह चाट रहे हैं। हमारी सारी सरकारी सुविधाओं और सामाजिक सुरक्षा के फायदे उठा रहे हैं। हमारे लोगों की नौकरियां और उनके धंधे चौपट कर रहे हैं। कुछ सड़क किनारे भिखारी बने बैठे हैं। यह सब कांग्रेस, जनता दल और मार्क्सवादी दलों की सांठगांठ के साथ हो रहा है।’

यह बातें भारत रक्षा मंच के संस्थापक और पिछले 40 सालों से बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा उठाने वाले सूर्यकांत केलकर ने सर्किट हाउस में एक सेमिनार में कहीं। उन्होंने अपनी स्पीच में बताया कि ‘बंगाल में मार्क्सवादी पार्टी वाले बंग्लादेशियों की घुसपैठ कराते। उनके राशनकार्ड और वोटर कार्ड बनवाते और देश के कोने-कोने में काम के लिए भेज देते। जब चुनाव आते तो सभी बंगाल आकर मार्कसवादी पार्टी को वोट डालते। खुद को सेक्युलर कहने वालों का चेहरा धीरे-धीरे बेनकाब हो रहा है। असल में विदेशी घुसपैठियों को हमारी ही पार्टियों ने साजिश के तहत बसाया।

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पंजाब के बराबर हिस्से पर बांग्लादेशियों का कब्जा। केलकर ने बताया कि सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर जोगिंदर सिंह ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि देश में लगभग पांच करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठ कर बैठे हुए हैं। जबकि खुद बांग्लादेश के 2001 के सेंसस में एक करोड़ लोग मिसिंग हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक जब सरकार ने बांग्लादेश की सीमा पर आने-जाने वाले लोगों पर नजर रखी तो पता चला लगभग 5000 लोग रोजाना बांग्लादेश से भारत आते हैं। महीने के 1.5 लाख। इतने सालों में कितने घुसपैठ कर गए पता नहीं। लेकिन इनकी संख्या 3 करोड़ से कम नहीं है। जोकि पंजाब की जनसंख्या से ज्यादा है। पंजाब से बड़ी भूमि पर ये कब्जा जमाए बैठे हैं।

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Deepak Sahu

Editor in Chief

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