नई दिल्ली/स्वराज टुडे: सनातन धर्म को लेकर तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के बयान पर मचा बवाल अभी थमा भी नहीं था कि आईआईटी दिल्ली की एक प्रोफेसर के बयान ने नया हंगामा खड़ा कर दिया है।
दरअसल, आईआईटी दिल्ली की प्रोफेसर दिव्या द्विवेदी ने फ्रेंच मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि भारत का भविष्य बिना हिंदू धर्म वाला होगा। इसके बाद देखते ही देखते उनका ये इंटरव्यू सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और लोग भड़क उठे।
फ्रेंच 24 को दिए इस इंटरव्यू में दिव्या द्विवेदी ने कहा, ‘दो तरह के भारत हैं। एक अतीत का भारत, जिसमें नस्लीय जाति की व्यवस्था थी और बहुसंख्यक आबादी पर अत्याचार होता था। और दूसरा, भविष्य का भारत, जो समतावादी है, जिसमें ना ही जाति के आधार पर होने वाला उत्पीड़न है और ना ही हिंदू धर्म। ये वो भारत है, जिसका प्रतिनिधित्व अभी तक नहीं किया गया है, लेकिन वो इंतजार कर रहा है, वो दुनिया को अपना चेहरा दिखाने के लिए तरस रहा है।’
90 फीसदी शक्तिशाली पदों पर 10 फीसदी वालों का कब्जा
प्रोफेसर दिव्या द्विवेदी ने आगे कहा, ‘भारत में जाति व्यवस्था बहुत पुरानी और गहरी है और इसका प्रभाव भी बहुत ज्यादा रहा है। यहां ऊंची जातियों का एक ऐसा हिस्सा रहा, जो संख्या में कम था, लेकिन देश के सबसे ज्यादा शक्तिशादी और असरदार पदों पर उसका दबदबा रहा। और, ये स्थिति आज के दिन तक भी बनी हुई है। ऊंची जाति के लोग केवल 10 फीसदी हैं, लेकिन 90 फीसदी शक्तिशाली पदों पर उनका कब्जा है।’
कौन हैं दिव्या द्विवेदी?
दिल्ली के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में दिव्या द्विवेदी मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। दिव्या द्विवेदी इससे पहले भी हिंदू धर्म को लेकर विवादित बयान दे चुकी हैं। एक बार उन्होंने ऐसा ही विवादित बयान देते हुए कहा था कि हिंदू धर्म 20वीं सदी की शुरुआत में शुरू किया गया एक झूठा धर्म है। दिव्या द्विवेदी ने हिंदू धर्म, साहित्य और राजनीति को लेकर कई किताबें भी लिखी हैं। यूपी के इलाहाबाद से ताल्लुक रखने वाली दिव्या, सुप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील राकेश द्विवेदी की बेटी हैं।
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