छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: कोरबा जिला कोयलाधानी के नाम से जाना जाता है , परन्तु यह देखा जा रहा है कि, कोल उत्खनन के लिए अपनी पुरखों की जमीन देने वाले किसान दशकों से अर्जित भूमि के एवज में रोजगार पाने यहां वहां भटक रहे हैं । इसका उदाहरण महाप्रबंधक कोरबा क्षेत्र में देखने को मिल रहा है । कोरबा महाप्रबंधक के अंतर्गत सरायपाली बुडबुड खदान के लिए अपनी जमीन देने वाले किसान दशकों से रोजगार के लिए भटक रहे ।
इस परियोजना के पीड़ित किसानों ने विवश होकर 28 जून को एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर का समस्या निराकरण होने तक गेट बंद करने की चेतावनी मुख्यालय को दी है ।
इस परियोजना के लिए प्रथम चरण में 550 एकड़ भूमि LA एक्ट के तहत अधिग्रहित की गई थी । इसका अवार्ड 2007 में किया गया है । अधिग्रहण की प्रक्रिया के दौरान महाप्रबंधक कोरबा ने लिखित में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कटघोरा को पत्र प्रेषित कर जानकारी उपलब्ध कराया था कि अर्जित की जाने वाली भूमि के एवज में किसानों को मध्य प्रदेश पुनर्वास नीति 1991 के तहत रोजगार दिया जाएगा । ग्रामीण इस बात से आश्वस्त थे कि हमें मध्य प्रदेश पुनर्वास नीति 1991 के अनुसार रोजगार प्रदान किया जाएगा ।
प्रबंधन के अधिकारियों ने मध्यप्रदेश पुनर्वास नीति के तहत पात्र व्यक्तियों को पात्रता प्रमाण पत्र भी उपलब्ध कराया था । तत्कालीन जिलाधीश रजत कुमार ने क्षेत्रीय विधायक अन्य निर्वाचित प्रतिनिधियों , प्रबंधन एवं ग्रामिणो की उपस्थिति में मध्य प्रदेश पुनर्वास नीति के तहत शीघ्र रोजगार प्रदान करने एवं दुसरे दिन से शिविर लगाकर नामांकन जमा लेने हेतु आदेशित किया था ।
आदेश के अनुरूप ग्रामीणों ने रोजगार नामांकन जमा किया। जिसका रोजगार सत्यापन पूर्ण होने के बाद एकाएक मध्य प्रदेश पुनर्वास नीति 1991 के स्थान पर कोल इंडिया पॉलिसी 2012 के अनुसार रोजगार देना प्रारंभ कर दिया । रोजगार नीति को अचानक बदलने से ग्रामीण हैरान एवं दुखी हो गए । तत्काल जिलाधीश महोदय को अपनी आपत्ति दर्ज कराई , परंतु कार्यवाही नहीं होने से रोजगार सत्यापन पूर्ण होने के बाद रोजगार के लिए भटक रहे हैं । एसईसीएल की अन्य परियोजना आमाडांड , निम्हा, कुहका में भी इसी तरह ग्रामीणों के साथ छल किया गया था ।
ग्रामीणों के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर मध्यप्रदेश मे रिट पिटीशन 7968/2009 कोमल केवट विरूद्ध कोल इंडिया लिमिटेड एवम अन्य दायर किया गया था । कोर्ट की शरण में जाने के बाद ग्रामीणों को न्याय मिल गया । बुडबुड सरायपाली के ग्रामीणों ने आवेदन निवेदन करने के उपरांत भी निराकरण नहीं निकलने पर 28 जून को एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर का गेट जाम करने आवदेन दिए हैं । इस दिन पीड़ित ग्रामीण पूरे परिवार के साथ आंदोलन में बैठेंगे । ग्रामीण अपने रोजगार के लिए आरपार की लड़ाई लड़ने के लिए कमर कस लिए हैं । बहरहाल देखना होगा कि इस मामले में ग्रामीणों को कब तक न्याय मिलता है ।
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