बांग्लादेश ने भारत को दी धमकी शेख हसीना को भेजो, वरना अंजाम बुरा होगा ! अब क्या करेगी मोदी सरकार ?

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नई दिल्ली/स्वराज टुडे : भारत में शरणार्थी के तौर पर रह रहीं बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को लेकर बांग्लादेश लगातार बयानबाजी कर रहा है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में कानून मंत्री आसिफ नजरुल ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा है कि अगर भारत शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने से इनकार करता है तो इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।

बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने मानवाधिकार उल्लंघन के एक मामले में शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।

अदालत ने आदेश जारी कर कहा था कि शेख हसीना को 18 नवंबर तक उनके सामने पेश किया जाए। इसके बाद कानून मंत्री की ओर से यह टिप्पणी की गई। बांग्लादेशी न्यूज चैनल से बात करते हुए नजरुल ने कहा कि शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए हमारे पास कई कानूनी उपाय हैं। भारत और बांग्लादेश के बीच पहले से ही प्रत्यर्पण संधि है। हालांकि भारत अन्य नियमों का हवाला देकर इनकार कर सकता है, लेकिन अगर ईमानदारी से देखा जाए और कानून का पालन किया जाए तो भारत शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने के लिए बाध्य है।

हसीना अज्ञातवास में

शेख हसीना के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह सुरक्षा कारणों से यहां मौजूद हैं। शेख हसीना 5 अगस्त को अपनी छोटी बहन के साथ भारत पहुंची थीं और तब से वह यहां किसी अज्ञात स्थान पर हैं। बांग्लादेश की आंतरिम सरकार ने उनका राजनयिक पासपोर्ट रद्द कर दिया है।

बयानबाजी का स्तर गिरा नीचे

शेख हसीना को भारत लाने को लेकर बांग्लादेश में लगातार बयानबाजी हो रही है। अंतरिम सरकार में विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने सितंबर में कहा था कि शेख हसीना को बांग्लादेश वापस भेजने या न भेजने का फैसला भारत करेगा। इसके अलावा एक अन्य नेता ने कहा कि भारत द्वारा शेख हसीना को शरण देना एक अपराधी और हत्यारे को शरण देने जैसा है।

बहरहाल इस धमकी के प्रत्युत्तर में भारत सरकार की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है , लेकिन भारत की जनता इस मामले में अलग अलग राय रखती है । कोई कहता है कि केंद्र सरकार को शेख हसीना को शरण नहीं देना चाहिए । इससे दो देशों के बीच वैमनस्य बढ़ेगा। वहीं दूसरा वर्ग केंद्र सरकार की प्रशंसा करते हुए कहता है कि पीएम मोदी सही मायने में राजधर्म निभा रहे हैं । शरण आए किसी भी प्राणी की रक्षा करना एक कुशल राजा का कर्तव्य होता है । शरण आए दुश्मन को भी अभय दान देना भारत की संस्कृति रही है।

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दीपक साहू

संपादक

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