बस कंडक्टर की बेटी साक्षी मलिक ने रचा इतिहास, रैसलिंग 62 किग्रा. वर्ग में जीता गोल्ड मेडल

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कॉमनवैल्थ गेम्स 2022 की महिला 62 किलोग्राम वर्ग में भारतीय पहलवान साक्षी मलिक ने कनाडाई एना पाउला को हराकर गोल्ड मेडल जीत लिया। यह साक्षी का कॉमनवैल्थ गेम्स में तीसरा पदक है। वह इससे पहले 2014 में रजत, 2018 में कांस्य जीत चुकी हैं। लेकिन इस बार उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन कर गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया। हालांकि फाइनल मुकाबला इतना आसान नहीं था। कनाडाई पहलवान पहले राऊंड तक 4-0 से आगे थी लेकिन साक्षी ने दूसरे राऊंड में उन्हें पिन कर गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया।

गेम्स में ऐसा रहा साक्षी मलिक का प्रदर्शन

राऊंड 16 (बाई) : भारतीय पहलवान को राऊंड 16 में बाई मिल गई।
क्वार्टरफाइनल (जीत) : साक्षी का इंगलैंड की बन्र्स के खिलाफ मुकाबला हुआ जिसमें वह शुरूआत से ही हावी रही। उन्होंने 10-0 से यह मुकाबला जीता।
सेमीफाइनल (जीत) : कैमरून के फ्रीस्टाइल पहलवान बर्थे एटेन नगोले के खिलाफ साक्षी फिर अटैक में दिखीं। उन्होंने बर्थे एटेन को हावी होने का एक भी मौका नहीं दिया और मैच 10-0 से जीता।
गोल्ड मेडल मुकाबला (जीत) : कनाडाई फ्रीस्टाइल पहलवान एना पाउला गोडिनेज गोंजालेज के खिलाफ साक्षी फाइनल मुकाबले के लिए आमने-सामने थी। एना पहले राऊंड में 4-0 से आगे थी लेकिन साक्षी ने दूसरे राऊंड में एना को पिन कर पूरा मैच पलट दिया और गोल्ड मेडल जीत लिया।

ओलिम्पिक खेल में प्रदर्शन

कांस्य पद – रियो डी जनेरियो 2016, 58 किग्रा

राष्ट्रमंडल खेल

रजत पदक – ग्लासगो 2014, 58 किग्रा
कांस्य पदक – गोल्ड कोस्ट 2018, 62 किग्रा
स्वर्ण पदक – बर्मिंघम 2022, 62 किग्रा

एशियाई चैम्पियनशिप

कांस्य पदक – दोहा 2015, 60 किग्रा
रजत पदक – नई दिल्ली 2017, 60 किग्रा
कांस्य पदक – बिश्केक 2018, 62 किग्रा
कांस्य पदक –शीआन 2019, 62 किग्रा

राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप

कांस्य पदक – जोहान्सबर्ग 2013, 63 किग्रा
स्वर्ण पदक – जोहान्सबर्ग 2017, 62 किग्रा

विश्व जूनियर चैम्पियनशिप

कांस्य पदक – बुडापेस्ट 2010, 59 किग्रा

एशियाई जूनियर चैम्पियनशिप

रजत पदक – मनीला 2009, 59 किग्रा
स्वर्ण पदक – अल्माटी 2012, 63 किग्रा

बस कंडक्टर की बेटी ने रचा इतिहास

3 सितंबर 1992 को हरियाणा के रोहतक जिले के मोखरा गांव में जन्मी साक्षी मलिक ने 12 साल की उम्र में कुश्ती शुरू की थी। उनके पिता सुखबीर दिल्ली परिवहन निगम के बस कंडक्टर थे और मां सुदेश मलिक स्थानीय स्वास्थ्य क्लिनिक में सुपरवाइजर थीं। साक्षी ने दादा बदलू राम जोकि एक पहलवान भी थे, को देखकर कुश्ती को अपनाया। उन्होंने छोटू राम स्टेडियम के एक अखाड़े में कोच ईश्वर दहिया के मार्गदर्शन में कुश्ती खेलना शुरू किया।

दीपक साहू

संपादक

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