प्राचीन ग्रंथों से खोजी मोहित गौड़ ने गुणा व शून्य की नई परिभाषा, इंग्लैंड के रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुआ शोध पत्र

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राजस्थान
नागौर/स्वराज टुडे: गुणा व शून्य की परिभाषण बदलने का दावा करते हुए टैगोर महाविद्यालय के छात्र मोहित गौड़ के शोध पत्र को इंगलैंड के रिसर्च जर्नल ने वोलियम-8 के इश्यू नंबर-1 में प्रकाशित किया है।

मोहित गौड़ के इस शोध पत्र को मान्यता देते हुए पलसस ग्रुप द्वारा संचालित इस जर्नल ऑफ प्योर एंड एपलाइड मैथमेटिक्स के एडिटर इन चीफ यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू मेक्सिको के प्रोफेसर फ्लोरेटिंन समारेंडन ने माना है कि आधुनिक गणित में गुणा व शून्य की परिभाषा अपूर्ण प्रतीत होती है। जबकि मोहित गौड़ के इस शोध से स्पष्ट है कि प्राचीन भारतीय पहले से ही शुन्य व गुणन की सही व्याख्या जानते थे।

मोहित गौड़ ने बताया कि इस संक्रिया के लिए उन्होंने यजुर्वेद, ब्रहमस्फुट सिद्धांत, पाणिनी अष्टाध्यायी, महर्षि दयांनद अष्टाध्यायी भाष्य सहित कुल बारह संदर्भ ग्रंथों तथा आधुनिक स्रोतो के प्रमाणों को वैज्ञानिक व गणितीय कसौटी पर जांच करने वाले डॉ. यकीनी सेहि जो चीन की जेह्जिंग युनिवर्सिटी में गणित के प्रोफेसर है, ने इस आर्टिकल को पीयर रिव्यू प्रोसेस द्वारा अप्रूव किया है।

यह शोध CERN के डाटासेट जिनोडो डाट ओ.आर.जी पर भी लिस्ट हुआ है। मोहित गौड़ ने बताया कि इस शोध में उन्हें दो वर्ष का समय लगा। शोध में इस बात के भी प्रमाण दिये है कि आधुनिक गणित के वर्तमान में चल रहे सभी बेसिक एक्सियम्स 5 वीं शताब्दी के भारतीय गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त से ही लिए गये है , परन्तु अधुरे रूप में। इसलिए मोहित गोड़, ने इन सभी प्राचीन भारतीय ग्रंथों का विशेष अध्ययन कर यह शोध तैयार किया था। संवाददाता के पूछे जाने पर मोहित गौड़ ने बताया कि यह जिज्ञासा मयूर विद्यालय गच्छीपुरा में कक्षा सातवीं में पढ़ते समय उत्पन्न हुई थी जिसका निराकरण प्राचीन शास्त्रों को पढ़कर इस शोध के माध्यम से संभव हुआ ।

आगे ग्रंथ पढ़ने की दिशा मिलने में मोहित के पिता रवींद्र गौड़ के हिंदी साहित्य से व्याख्याता होना तथा बड़े दादाजी पंडित शिव प्रसाद जी रामसीया का संस्कृत शास्त्रों मे विद्वान होना एक अहम भूमिका के रूप मे रहा. जिसके बाद महर्षि दयानन्द कृत सत्यार्थ प्रकाश मिलने के बाद वैदिक धर्म के प्रति समर्पण प्रज्ज्वलित हो उठा, तथा महर्षि द्वारा आर्ष ग्रंथो के लिए दी गयी वैज्ञानिक दृष्टि का उपयोग लेके शोध शुरु किया, स्वामी दयानन्द सरस्वती के नारे “वेदो की और लौटो” को साकार करने के क्रम में यह शोध पूरे भारत तथा विश्व के वैज्ञानिक जगत में सार्थक साबित होगा.और अब इन्ही प्राचीन शास्त्रों मे छुपे भारतीय विज्ञान के प्रचार हेतु वर्तमान मे मोहित “विज्ञान दर्शन” नामक यूट्यूब चैनल का संचालन कर रहे है जहा इस शोध पर भी वे वीडियो डालकर आमजन तक इस खोज को पहुंचाएंगे.

दीपक साहू

संपादक

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