नई दिल्ली/स्वराज टुडे: भारत में लगभग 10.45 करोड़ अनुसूचित जनजाति (एसटी) है, जो भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 8.6 प्रतिशत है। भारत के अनुच्छेद 342 के तहत 730 से अधिक अनुसूचित जनजातियां अधिसूचित है। जिसमें से 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश अंडमान-निकोबार की 75 जनजाति समूह को पीवीटीजी (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह) की श्रेणी में रखा गया है। जिसमें सर्वाधिक ओडिशा से 13 जनजातीय समूह इस श्रेणी में आते हैं। वहीं दूसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश (12 जनजातीय समूह) तथा सबसे कम त्रिपुरा व मणिपुर से 1-1 जनजातीय समूह को इस श्रेणी में रखा गया है। ये 75 जनजातीय समूह सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक क्षेत्रों में काफी पीछे है। इन्हीं पिछड़ी जनजाति समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान यानि ‘पीएम जनमन योजना’ चल रही है।
क्या है पीएम जनमन योजना
15 नवंबर 2023 को अर्थात जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड प्रांत के खूंटी जिले से 75 जनजातीय समूह, जो सामाजिक, आर्थिक व शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े हुए है, की स्थितियों को सुधारने के उद्देश्य से ‘पीएम जनमन’ योजना का प्रारंभ किया। यह एक प्रकार से अभियान है, जिसका उद्देश्य इन पिछड़ी जनजातीय समुदायों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना तथा पिछड़ी जनजातीय बस्तियों को सुरक्षित आवास, शिक्षा, स्वच्छ
पेयजल, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क, दूरसंचार कनेक्टिविटी आदि के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी प्रदान करना है।
इस योजना के तहत भारत के 220 जिलों की 22,544 से ज्यादा पिछड़ी बस्तियों/गांवों में रहने वाले लगभग 28 लाख से अधिक जनजातीय लोगों के जीवन स्तर को सुधारना है।
योजना के प्रमुख उद्देश्य
इस योजना का प्रमुख उद्देश्य पिछड़ी जनजातीय समूह के जीवन स्तर में सुधार करना है। जिसके तहत उनके आधार कार्ड, राशन कार्ड तथा अन्य महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट बनाए जाएंगे, ताकि इनको भी अन्य भारतीय नागरिकों की तरह सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता रहे। जैसे पीएम किसान सम्मान निधि योजना, किसान क्रेडिट कार्ड तथा आयुष्मान कार्ड आदि।
इसके साथ-साथ इन जनजातीय बस्तियों को बिजली, सुरक्षित घर, पीने का साफ पानी, पोषण तथा बेहतर पहुंच, शिक्षा, टेलीफोन कनेक्टिविटी, सड़क और स्वास्थ्य आदि सुविधा उपलब्ध कराना है।
योजना का क्रियान्वित रूप
इस घोषणा के समय इसका बजट वित्त वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक 24,104 करोड़ रूपये रखा गया है। इस बजट में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 15,336 करोड़ रूपये (63.62 प्रतिशत) तथा राज्य की हिस्सेदारी 8,768 करोड़ रूपये (36.38 प्रतिशत) है। वहीं इस योजना को क्रियान्वित रूप देने के लिए इसके अंतर्गत जनजातीय कार्य मंत्रालय सहित 9 मंत्रालयों को रखा गया है, जो इस योजना को कार्यरूप प्रदान करेंगे। इन मंत्रालय द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक 11 प्रमुख कार्यों के माध्यम से इन पिछड़ी जनजातीय समूहों को मजबूत करने का अनुमानित लक्ष्य रखा गया है।
1. 4.90 लाख पक्के मकान बनाना
2. बस्तियों/गांवों के 1 लाख घर तक बिजली की उपलब्धता
3. 1500 बस्तियां में बिजली की उपलब्धता
4. सभी पीवीटीजी परिवारों तक पाईप जलापूर्ति/सामुदायिक जल आपूर्ति
5. 8000 किमी. सड़कों के माध्यम से कनेक्टिविटी
6. 10 जिलों के लगभग 1000 गांव/बस्तियां में मोबाइल चिकित्सा ईकाईयां स्थापित करना
7. 500 छात्रावासों का निर्माण करना
8. 2500 आंगनवाड़ी केंद्रों का निर्माण
9. 1000 बहुउद्देशीय केंद्रों का निर्माण
10. 500 वीडीवीके (वनधन विकास केंद्र) केंद्रों की स्थापना
11. जिन गांवों/बस्तियों में मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है, वहां मोबाईल टॉवर लगाना
इन सभी कार्यों को फलीभूत करने के लिए 25 दिसंबर, 2023 से एक राष्ट्रव्यापी आईईसी (इंटरनेशन इलेक्ट्रोटेक्नीकल कमीशन) अभियान चलाया गया है। जिसमें लाभार्थियों की समस्याओं के निवारण केंद्र और स्वास्थ्य शिविर शामिल है। जिनके माध्यम से इन पीवीटीजी बस्तियों की समस्याओं (व्यक्तिगत घरेलू) और स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं के तहत तत्काल लाभ प्रदान करना है। विभिन्न जागरूकता व प्रचार के माध्यमों जैसे पैम्फलेट, वीडियो, दीवार पेंटिंग, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि का उपयोग स्थानीय और आदिवासी भाषाओं में कर जागरूकता करना है। इसके साथ-साथ अभियान की निगरानी हेतु जिला स्तर के अधिकारियों को नियुक्त किया गया है तथा अभियान और मिशन की सफलता के लिए राज्य सरकारों के विभिन्न लाइन विभागों के साथ समन्वय हेतु राज्य स्तर के अधिकारी को नियुक्त किया गया है।
योजना की गतिविधियां
15 जनवरी 2024 को इस योजना के तहत एक लाख लाभार्थियों को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना द्वारा पक्का मकान बनाने हेतु 540 करोड़ रूपये की पहली किस्त जारी की गई थी।
इस योजना/अभियान की जिम्मेदारी सभी संबंधित मंत्रालयों को सौंपी गई है दी गई है। इसके लिए अलग से आवेदन की आवश्यकता नहीं है।
*सुदामा भारद्वाज की रिपोर्ट*
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