छत्तीसगढ़
सक्ती/स्वराज टुडे: माहवारी स्वच्छता प्रबंधन की तरफ ध्यान देने की ज़रूरत और प्रतिबध्तिता को ध्यान में रखते हुए आईएएस अधिकारी एसडीएम रैना जमील ने नवीन जिला सक्ती में किशोरी बच्चियों को जागरूक करने के लिए 29 मई स्वास्थ्य विभाग के यूनिसेफ के सहयोग से कार्यक्रम रखा गया था जिसमे लगभग 75 किशोरी बच्चियों ने उपस्थित रही हालाकि 28 मई को माहवारी स्वच्छता दिवस मनाया जाता है।
इस दिन का मुख्य उद्देश्य
एसडीएम रैना जमील ने कहा- माहवारी या मासिक चक्र के दौरान अगर स्वच्छता पर ध्यान न दिया जाए तो संक्रमण का खतरा भी रहता है। इन खास दिनों में होने वाले बदलावों को समझने और उसे सकारात्मक रूप से लेने के लिए किशोरियों और महिलाओं को जागरूक करने रविवार को मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया गया। कार्यक्रम आयोजित कर किशोरियों को पोषण, माहवारी स्वच्छता और सेनेटरी नैपकिन के उपयोग के बारे में जागरूक किया गया।
किशोरियों को इस उम्र में सही सलाह देने की जरूरत
आईएएस अधिकारी रैना जमील ने बताया “मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता बहुत जरूरी होता है। मासिक चक्र की शुरुआत वाली उम्र में किशोरियों को सही सलाह की बहुत ज़रूरत होती है। माहवारी या मासिक चक्र के दौरान स्वच्छता प्रबंधन पर ध्यान नहीं दिए जाने से संक्रमण का खतरा रहता है जिससे प्रजनन स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है। इसलिए विशेषकर किशोरियों के अभिभावकों को भी माहवारी स्वच्छता के बारे में जागरूक करना जरूरी है। माहवारी के दौरान असुरक्षित साधनों के इस्तेमाल की जगह सुरक्षित साधन जैसे सेनेटरी पैड के शत-प्रतिशत इस्तेमाल को सुनिश्चित करना चाहिए।
तो इसलिए चुना गया 28 तारीख का दिन
माहवारी स्वच्छता दिवस पर जिला शिक्षा अधिकारी श्री बी एल खरे ने बताया कि इस दौरान माहवारी स्वच्छता, सेनेटरी नैपकिन के उपयोग और इससे जुड़े मिथकों के साथ ही शरीर में खून की कमी, आयरन की खुराक के महत्व, संतुलित आहार, सूक्ष्म पोषक तत्व, कुपोषण एवं उसके प्रभाव की जानकारी दी गई।
मासिक धर्म स्वच्छता दिवस दुनिया भर की महिलाओं में मासिक धर्म की वजह से होने वाली परेशानियों के बारे में जागरूक करने लिए हर साल 28 मई को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत साल 2013 में वाश द्वारा की गई थी। इस दिवस को पहली बार 28 मई 2014 में मनाया गया था। इसे 28 तारीख को मनाने की खास वजह यह है कि महिलाओं को पीरियड्स 28 दिनों के अंतर से आते हैं।
कोरोना काल की वजह से सैनिटरी पैड के उत्पादन में आई कमी
माहवारी स्वच्छता प्रबंधन की तरफ ध्यान देने की ज़रूरत और प्रतिबध्तिता को ध्यान में रखते हुए कि महिलाओं और किशोरियों को सुरक्षित और स्वच्छ मासिक धर्म का अनुपालन करने के लिए सही उत्पादों, सूचना और सुविधाओं का उपयोग करने के लिए अवगत कराना। कोविड 19 के कारण कई चीज़ो के उत्पादन और वितरण में कमी आयी है, जिसे आपूर्ति में बांधा आ रही हैं। सैनिटरी पैड भी इसी कारण हर जगह उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। जो पूरे भारत में सैनिटरी उत्पादों का निर्माण या वितरण करते हैं, और समुदायों में माहवारी स्वच्छता को बढ़ावा देने का काम करते हैं।
लड़कियों और महिलाओं तक, कोविड के दौरान, पैड की पहुंच बढ़ाने की चुनौतियों पर किया गया जिन समुदायों में वो काम करते है वहा मासिक धर्म के उत्पादों की या तो अत्यधिक कमी है या बिलकुल भी उपलब्धता नहीं है, विशेष रूप से सैनिटरी पैड की। इसका प्रमुख कारण उत्पादन इकाइयों का संचालित नहीं होना था। कि छोटे और मध्यम स्तर के निर्माताओं में काम करने में असमर्थ थे और बिल्कुल भी चालू नहीं थे।जिला शिक्षा अधिकारी ने किशोरी बच्ची को जागरूक करते हुए कहा कि कोरोना काल मे फेस मास्क बना रही हैं जिस कारण पैड के उत्पादन में गिरावट आयी है।
सैनिटरी पैड ना हो सके उपलब्ध तो अपना सकते हैं ये विकल्प
सैनिटरी पैड की कमी के चलते किशोरियों और महिलाएं कपड़े का उपयोग करना शुरू कर सकती हैं लेकिन उनको इसके उचित उपयोग और रखरखाव के बारे में पर्याप्त जानकारी होना आवश्यक है।
इस बात का हल निकालने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से किशोरियों और महिलाओं को स्वच्छ सूती कपड़े का उपयोग करके घर पर बने सूती कपड़े के पैड का उपयोग कर स्वच्छ माहवारी प्रबंधन के लिए एक विकल्प दिया जाता हैं।
माहवारी स्वच्छता पर ध्यान देना और भी अनिवार्य हो जाता है। सभी किशोरी और महिलायें पैड की आपूर्ति ना होने की स्थिति में सही और सुरक्षित विकल्प आसानी से अपना पाए।
*पर्सन राठौर की रिपोर्ट*
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