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नक्सलियों का ऐसा खौफ कि शहीद जवान का उसके ही गांव में नहीं हो सका अंतिम संस्कार, पढ़िए पूरी खबर

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छत्तीसगढ़
बीजापुर/स्वराज टुडे: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ हो रही कार्रवाई के बीच आज भी छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की दहशत है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीजापुर हमले में शहीद हुए जवान को उसके अपने गांव में अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं मिली. ऐसे में नेशनल हाइवे के किनारे एक गांव में उसका अंतिम संस्कार करना पड़ गया.

5 शहीद जवान पूर्व में थे नक्सली

बीजापुर में सोमवार को हुए नक्सलियों के हमले में 8 जवान सहित एक ड्राइवर की शहादत हुई है. इन 8 जवानों में से 5 जवान पूर्व में नक्सली रह चुके हैं. इनमें से एक जवान बुधराम भी है. नक्सल हिंसा में शहीद होने के बाद उसके अंतिम संस्कार के लिए गांव नहीं ले जाया गया.दरअसल उसके गांव तंगोली में नक्सलियों का खौफ है. इसके सरेंडर के बाद नक्सली टारगेट बनाकर रखे हुए थे. ग्रामीणों ने बताया कि इसका गांव में अंतिम संस्कार कर देते तो नक्सली हमें परेशान करेंगे. ऐसे में गांव नहीं ले जाया गया.

ग्रामीणों कर परिजनों ने कहा कि बुधराम की शहादत पर गर्व है. वह नक्सल संगठन में रहते हुए पुलिस की गोली से मारा जाता, इससे अच्छा यही है कि उसने सरेंडर के बाद देश की सेवा का संकल्प लेकर डीआरजी में शामिल हुआ था और देश की सेवा करते हुए वह शहीद हुआ है.

शहीद जवान बुधराम कोरसा का अंतिम संस्कार एनएच पर बसे गांव बरदेला में किया है. बुधराम बडे तुंगाली गांव का रहने वाला था. लगभग 8 साल पहले इसने सरेंडर किया था और इसके बाद इसने पुलिस की नौकरी ज्वाईन की थी. बुधराम परिवार में सबसे बड़ा था और परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी इसी पर थी. इधर इस घटना के बाद साथी शहीद डीआरजी जवानों के साथी जवान अब फिर ये ही कहते आ रहे हैं. भूलेंगे नहीं बल्कि अब बदला लेकर रहेंगे.

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सरेंडर के बाद रहता है खतरा

सरेंडर करने वाले नक्सलियों और उनके परिवार को जान का खतरा रहता है. नक्सली उनके परिवार को भी परेशान करते हैं. सरेंडर के बाद कई लोग डीआरजी टीम में शामिल हो गए हैं, ऐसे में उनकी जान का खतरा और भी बढ़ जाता है, ऐसे में वे गांव नहीं जाते हैं. कभी चले गए और नक्सलियों को इस बात की जानकारी हो गई तो हत्या कर देते हैं.

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Deepak Sahu

Editor in Chief

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