छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: निगम के अतिक्रमण दस्ता ने शुक्रवार को दर्री जोन के सरदार वल्लभभाई पटेलनगर चौक चौक पर अवैध रूप से संचालित ठेला, गुमठी, ढाबा और बांस बल्ली लगाकर किए गए लगभग एक दर्जन अतिक्रमणों को हटाया और संबंधितों को हिदायत दी कि वे फिर से अतिक्रमण का प्रयास न करें।
जोन कमिश्नर ए.के. शर्मा की अगुवाई में निगम के अतिक्रमण दस्ते ने यह कार्रवाई की है। अतिक्रमण दस्ता प्रभारी योगेश राठौर ने बताया कि इन अतिक्रमणकारियों को पूर्व में समझाईश दी गई थी कि वे अवैध कब्जों को हटा लें। लेकिन ऐसा नहीं करने पर अतिक्रमण दस्ते ने कब्जा मुक्त कराने कार्रवाई की। आयुक्त प्रभाकर पांडेय ने निगम के मैदानी अधिकारी कर्मचारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने कार्यस्थलों में अतिक्रमण पर सतर्कता से नजर रखें।
अचानक नींद से जागता है निगम का तोड़ू दस्ता
बता दें इन दिनों कोरबा के हर क्षेत्र में अतिक्रमणकारियों की बाढ़ आ गयी है । सबसे पहले तो निगम कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों की शह पर ही अवैध निर्माण का खेल शुरू होता है ।फिर अचानक दबाव बनने पर कार्रवाई की औपचारिकता निभाई जाती है । निगम प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई को पक्षपात पूर्ण की गई कार्रवाई कहें तो गलत नहीं होगा क्योंकि शहर के अनेक स्थानों पर धड़ल्ले से बेजाकब्जा किया जा रहा है । हैरानी की बात है कि जहां सबकी नजर पड़ रही है वहां निगम के तोड़ू दस्ते की क्यों नहीं ।
इन स्थानों पर हो चुका है पूरी तरह बेजाकब्जा
बता दें कि निगम प्रशासन की नाक के तले सीएसईबी पूर्व सरस्वती स्कूल के सामने CSEB की शासकीय भूमि पर बेजाकब्जा करके पक्के भवनों का निर्माण करा लिया गया है । उधर गेरवा घाट से प्रगतिनगर मार्ग पर सड़क किनारे करोड़ों की शासकीय भूमि पर रातों रात पक्का मकान खड़े किया जा रहा है । बताया जा रहा है कि ये अतिक्रमण वार्ड पार्षद की शह पर किया जा रहा है ।इसके एवज में एक मोटी रकम पार्षद को दक्षिणा के रूप में दे दी जाती है ।
इसी तरह बुधवारी मुड़ापार बायपास मार्ग पर रेलवे लाइन साइड तरफ बनाये गए ऑक्सीजन जोन से पेड़ नदारद हो गए हैं और उनकी जगह लाइन से ठेले गुमटी वालों ने कब्जा कर लिया है । सुनालिया चौक से नवनिर्मित उद्यान तक बायीं तट नहर किनारे ठेले गुमटी वालों का कब्जा हो गया है । यहां सुबह के वक्त जलपान करने वाले लोगों की अच्छी खासी भीड़ जुटती है जिससे यातायात प्रभावित होता है और दुर्घटना की आशंका बनी रहती है ।इसी तरह आगे बढ़ने पर नहर की दूसरी तरफ सिंचाई विभाग की जमीन पर झुग्गी झोपड़ियों की कतारें नजर आएंगी जो पूरी तरह अवैध है । कुछ झुग्गी वालों के पास तो चौपहिया वाहन है जिन्होंने वाहन खड़ी करने के लिए सड़क किनारे ही बाकायदा गैराज बनवा कर रखा है ।
इन स्थानों पर निगम का बुलडोजर कब चलेगा ये देखने वाली बात होगी ।
ऐसे होती है अतिक्रमण की शुरुआत
सबसे पहले खाली पड़ी जगह पर रस्सी या पुरानी साड़ियों से स्थान घेरा जाता है । फिर वहां कच्चा निर्माण कार्य करा लिया जाता है । जब वहां अतिक्रमण हटाने किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जाती तो वहाँ पक्का निर्माण करा लिया जाता है। जब एक मकान तैयार हो जाता है तो फिर दूसरा आदमी भी उसके बाजू में इसी प्रक्रिया को अपनाते हुए कब्जा कर लेता है । इस तरह एक एक करके दर्जनों लोगों द्वारा उस खाली पड़े भू-भाग पर अतिक्रमण कर अवैध निर्माण करा लिया जाता है ।
यहां सवाल उठना लाजिमी है कि जहां अवैध निर्माण किया जाता है वहां निगम प्रशासन एवं बिजली विभाग द्वारा ही अवैध कब्जाधारियों को बिजली पानी की भी सुविधा उपलब्ध करा दी जाती है ,आखिर क्यों ?
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