पूर्व मंत्री भगत बोले- चंगाई से बीमारी ठीक हो सकती है तो अस्पताल क्यों चल रहे
कोरबा/स्वराज टुडे: 70 के दशक में सांसद कार्तिकराम उराव के द्वारा जनजाति वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए 348 सांसदों के हस्ताक्षर वाला पत्र तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को दिए जाने के बाद से अब तक संघर्ष जारी है। अखिल भारतीय जनजाति सुरक्षा मंच ने अपने अधिकारों को लेकर लड़ाई तेज की। इसके अंतर्गत मांग की गई है कि धर्मांतरण करने वाले आदिवासियों का आरक्षण समाप्त कर उन्हें डीलिस्ट किया जाए। कोरबा के ओपन थिएटर में आयोजित डी लिस्ट महासभा में वक्ताओं ने मुखर अंदाज के साथ अपनी बातों को रखा। इसी के साथ घोषणा की गई कि पूरे देश भर में इस लड़ाई को और तेज किया जाएगा।
कोरबा जिला के विभिन्न क्षेत्र के लोग इस महासभा में शामिल हुए। अखिल भारतीय जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मंत्री गणेश राम भगत ने मुख्य वक्ता के रूप में कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने धर्मांतरण को राष्ट्रीय समस्या बताते हुए इस पर चिंता जताई और कहा कि अपने मूल धर्म को छोड़कर दूसरों को खाद पानी देने वाले लोगों से सतर्क और सावधान रहने की जरूरत। आदिवासियों के हित की लड़ाई को लेकर पूर्व सांसद कार्थिक राम उरांव के योगदान की चर्चा की गई और बताया गया कि उनकी अधूरी लड़ाई को हर हाल में पूरा करना है। उन्होंने कहा कि जनजाति समाज का यह आंदोलन देश के हितों से जुड़ा हुआ है। हम आदिवासियों को जगाने और सावधान करने के लिए काम कर रहे हैं। कहा गया कि पूर्वजों के द्वारा दिए गए परंपरा संस्कृति और रीति रिवाज की रक्षा करना हमारा मूल धर्म है। जो लोग छोटे-मोटे प्रलोभन के कारण अपने धर्म से अलग होकर मिशनरी और दूसरों के चक्कर में फंसे हुए हैं उनकी जड़ों को काटना जरूरी हो गया है।
पूर्व मंत्री गणेश राम भगत ने साफ तौर पर इस बात को कहा कि हम किसी धर्म के विरोधी नहीं हैं लेकिन जिस तरह से छल पूर्वक जनजातियों को ठगा जा रहा है और अपनी संख्या बढ़ाई जा रही हैं यह अपने आप में चिंताजनक है और गंभीर संकट है। उन्होंने मिशनरियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि देश में इलाज करने की भारी भरकम सुविधा है तो फिर चंगाई क्यों? सवाल किया गया कि अगर चंगाई से हर बीमारी ठीक हो सकती है तो मिशनरी अपने अस्पताल बंद करें। आखिर डबल कम क्यों होना चाहिए। भगत ने इस बात पर हैरानी भी जताई कि जो चंगाई में फंसा वह लौटकर अपने धर्म में नहीं आया। आखिर कौन सा जादू होता है वहां? कुल मिलाकर धर्मांतरण की इस पद्धति से जनजातीय वर्ग के हितों पर कुठाराघात हो रहा है इसलिए हमारी मांग है कि भारत सरकार धर्म अंतरित लोगों की सुविधाओं को समाप्त करने के साथ उस व्यवस्था को अभिलंब समाप्त करें जिससे मिशनरी फल-फूल रही हैं।
जो अपने धर्म का नहीं, वह देश का नहीं: ननकीराम कंवर
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकार में मंत्री पद संभालने के साथ वर्तमान में रामपुर क्षेत्र से विधायक ननकीराम कंवर ने डीलिस्ट महासभा को संबोधित किया। बेबाक अंदाज में अपनी बात रखी और कहां की जो व्यक्ति अपने परिवार समाज और धर्म का नहीं हो सकता, वह देश का बिल्कुल नहीं हो सकता। यह लड़ाई देश की अस्मिता की रक्षा के लिए है। धर्मांतरण कर चुके लोग चाहते हैं कि हमारे यहां विदेशों के लोग आकर राज करें ऐसा बिल्कुल नहीं होगा। जनजाति सुरक्षा मंच का मानना है कि धर्मांतरण ही राष्ट्रान्तरण है। इसलिए हम सब को सजग और सतर्क रहना है।
अखिल भारतीय जन जाति सुरक्षा मंच के प्रांत संयोजक इंदर भगत ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 342 का हवाला देते हुए मूल धर्म का परित्याग करने वाले जनजाति वर्ग के लोगों आरक्षण समाप्त करने की बात को जायज बताया। तर्क दिया गया कि विदेशी धरती पर जन्म में धर्म को अंगीकार करने वालों को विशेष सुविधाएं नहीं मिलते हैं। इसका उल्लेख खुद भारतीय संविधान में है। बताया गया कि वर्ष 2020 में भारत के 288 जिलों में जनजाति सुरक्षा मंच के द्वारा इस मांग को लेकर प्रदर्शन करने के साथ भारत सरकार के नाम पर ज्ञापन दिए गए हैं और लड़ाई जारी रखी गई है। बताया गया कि धर्मांतरण के चक्कर में आदिवासियों को अपने अधिकार तो नहीं मिल रहे हैं लेकिन उनकी आड़ में मिशनरी से जुड़े लोग 80% फायदे प्राप्त कर रहे हैं। प्रांत सह संयोजक रोशन प्रताप सिंह ने विभिन्न क्षेत्रों में किए जा रहे प्रयासों और अब तक की सफलता को लेकर बातचीत की। यहां पर दोहराया गया कि आने वाले दिनों में सड़क की लड़ाई और तेज की जाएगी और जनजातियों को अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए जागृत किया जाएगा। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन पुष्पराज सिंह ने किया।
इन संगठनों ने दर्ज कराई अपनी भागीदारी
संपूर्ण आयोजन में जनजातीय सुरक्षा मंच, धर्म जगरण समन्वय, स्वदेशी जागरण मंच , भारतीय मजदूर संघ, सहित विभिन्न हिंदू संगठनों के पदाधिकारियों और सदस्यों ने अपनी भागीदारी दर्ज की। इससे पहले जनजाति सुरक्षा मंच ने वाल्मीकि आश्रम से झंडे बैनर के साथ रैली निकाली। मुख्य मार्ग, सीएसईबी कॉलोनी, गायत्री प्रज्ञा पीठ, कोसाबाड़ी रोड होते हुए यह रैली ओपन थिएटर मैदान पहुंची। शहर और दूरदराज से आए लोगों को जरूरी सुविधा देने के लिए स्थानीय संगठनों के द्वारा ओपन थिएटर मैदान में पेयजल और अल्पाहार के स्टाल लगाए गए थे।
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