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छत्तीसगढ़ में फिर एक पत्रकार की हत्या, घर के पास लहूलुहान हालत में मिला शव, जाँच में जुटी पुलिस

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छत्तीसगढ़
मनेन्द्रगढ़/स्वराज टुडे: मनेंद्रगढ़ के चनवारीडांड में पत्रकार का शव मिला है. बताया जा रहा है कि मौहारीपारा ग्राउंड के पास ही पत्रकार का शव खून से लथपथ हालत में पड़ा था. जिसकी जानकारी ग्रामीणों ने पुलिस को दी.मृतक अपनी तीन साल की बेटी और पत्नी के साथ किराये के मकान में रहता था.घटना की सूचना मिलने के बाद मनेंद्रगढ़ पुलिस मौके पर पहुंची और अंबिकापुर फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंचकर घटनास्थल का जायजा ले रही है. आशंका है कि घर में ही युवक की हत्या कर शव को फेंका गया है.

SP ने घटनास्थल का किया मुआयना

जानकारी के मुताबिक, चनवारीडांड डिपो के पीछे मौहारीपारा में युवक का शव लोगों ने देखा,इसके बाद सूचना पुलिस को दी. सूचना पर मनेंद्रगढ़ टीआई अमित कृष्ण कश्यप पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे. युवक की शिनाख्त रईस अहमद उम्र 40 वर्ष के रूप में हुई है. शव औंधे मुंह पड़ा था. युवक पेशे से पत्रकार था. एमसीबी एसपी चंद्रमोहन सिंह ने भी बाद में मौके का मुआयना किया.

घर के पास मिला खून से लथपथ गमछा

पुलिस जांच में पता चला कि रईस अहमद पिछले करीब एक माह से चनवारीडांड में किराए के मकान में अपनी पत्नी एवं तीन साल की बेटी के साथ रहता था. उसका शव घर से करीब दो सौ मीटर दूरी पर मिला है.मकान के पास खून से लथपथ एक गमछा भी मिला है. आशंका है कि रईस की हत्या घर में या घर के पास की गई है.फिर वहां से शव लाकर मैदान में फेंका गया है.

घर पर आया था बाइक सवार

पुलिस जांच में पता चला है कि रईस अहमद के मोबाइल फोन पर सुबह करीब पांच बजे दो-तीन कॉल आए हैं. सुबह एक युवक भी उसके घर बाइक से आया था, जो डेढ़ घंटे बाद सुबह से घर से गया है.मृतक देर रात तक अपने पत्रकार साथियों के साथ था.लेकिन सुबह उसकी मौत की सूचना मिली. पुलिस मृतक रईस अहमद की पत्नी से भी पूछताछ कर रही है.

अब तक नहीं पकड़े गए पत्रकार सुशील पाठक और कैलाश विश्वकर्मा के हत्यारे

बिलासपुर के पत्रकार सुशील पाठक की हत्या करने वाले अब तक पकड़े नहीं गए हैं। पुलिस के बाद अब सीबीआई ने भी एक तरह से केस की जांच बंद कर दी है। सुशील की हत्या 19 दिसंबर 2010 को बिलासपुर नया सरकंडा में की थी। उन्हें घर के पास ही सड़क पर गोली मारी गई थी। पाठक का शव सड़क पर पड़ा था। एक साल तक पुलिस इस मामले की जांच करती रही, लेकिन आरोपियों का सुराग नहीं मिला।

इसी तरह लगभग 2 दशक पहले कोरबा के तेज तर्रार पत्रकार कैलाश विश्वकर्मा की मर्डर मिस्ट्री भी आज तक नही सुलझ सकी ।

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Deepak Sahu

Editor in Chief

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