छत्तीसगढ़
दुर्ग/स्वराज टुडे: दुर्ग में हाउसिंग बोर्ड की जमीन घोटाले का मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। हाईकोर्ट ने राज्य शासन, हाउसिंग बोर्ड के साथ ही दुर्ग-भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव की पत्नी डॉ. श्रुति यादव और भाई धर्मेंद्र यादव को नोटिस जारी कर इस संबंध में जवाब मांगा है। सभी को 24 अगस्त तक पूरी जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश कोर्ट ने दिए हैं।
जानें क्या है पूरा मामला
भिलाई के हाउसिंग बोर्ड की खाली जमीन आबंटन में गड़बड़ी के मामले में विधायक के भाई और पत्नी पर नियमों को दरकिनार कर जमीन आबंटित करने का आरोप है। इस बेशकीमती जमीन के सौदे के बाद ही आम आदमी पार्टी के नेता मेहरबान सिंह ने आरोप लगाया था कि हाउसिंग बोर्ड में मेन लोकेशन की लगभग 10 करोड़ की जमीन सभी नियमों को ताक में रखकर हाउसिंग बोर्ड ने सांठ गांठ कर मात्र ढाई करोड़ में दे दी है।
10 करोड़ की जमीन मात्र ढाई करोड़ में विधायक की पत्नी के नाम
आम आदमी पार्टी का आरोप है कि इस जमीन का बाजार मूल्य लगभग 10 करोड़ है। इसे करीब 2.52 करोड़ में बेच दिया गया। इसके लिए निविदा निकाली गई, इसमें एक ही व्यक्ति ने भाग लिया। जमीन की बिक्री के बाद विधायक देवेंद्र की पत्नी डॉ. श्रुति ताम्रकार यादव का नाम जोड़ने आवेदन किया गया। 15 नवंबर 2021 को नाम भी जोड़ दिया गया। इस केस की शिकायत पूर्व में राज्यपाल से भी की गई थी। कोई कार्रवाई नहीं होने पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है।
आम आदमी पार्टी ने दायर की थी याचिका
दुर्ग के आम आदमी पार्टी जिलाध्यक्ष मेहरबान सिंह ने अधिवक्ता महेंद्र दुबे के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने बताया है कि दुर्ग में छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड की प्रॉपर्टी है। जिसे बेचने के लिए 30 सितंबर 2021 को विभाग ने विज्ञापन जारी किया था। विज्ञापन दो अखबार और वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया था। वेबसाइट पर प्रकाशित विज्ञापन में कहा गया कि हर 15 दिन में ऑफर खुलेगा जबकि अखबार में हर शुक्रवार को ऑफर खुलने की जानकारी दी गई थी।
हाउसिंग बोर्ड की कीमती जमीन का इस तरह किया गया घोटाला
आपको बता दें कि औद्योगिक क्षेत्र के कालीबाड़ी चौक की यह 1410 स्क्वेयर मीटर जमीन व्यावसायिक भूखंड के विक्रय के लिए हाउसिंग बोर्ड ने समाचार पत्र में सूचना जारी की जिस पर डॉ. श्रुति ताम्रकार यादव ने प्रस्ताव स्वीकृति के लिए हाउसिंग बोर्ड के समक्ष आवेदन जमा किया था। हाउसिंग बोर्ड ने 15 दिन वाले नियम का हवाला देते हुए उनके आवेदन को निरस्त कर दिया। जबकि 15 दिन में ऑफर खोलने के संबंध में कोई भी नियम का प्रकाशन नहीं किया गया था। याचिका में यह भी बताया कि डॉ. श्रुति ताम्रकार यादव ने जो डीडी हाउसिंग बोर्ड में जमा की थी, वह विज्ञापन प्रकाशित होने वाले दिन 30 सितंबर का था। इसके बाद भी उनके आवेदन को जानबूझकर निरस्त कर दिया गया। उनका ऑफर निरस्त करने के बाद विधायक के भाई धर्मेंद्र यादव के आवेदन को स्वीकृत कर भूमि हक की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। इस पर धर्मेंद्र यादव ने श्रुति यादव के नाम को मालिकाना हक में जोड़ने के लिए आवेदन किया। उनके आवेदन पर उनका नाम जोड़ भी दिया गया।
24 अगस्त तक हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि श्रुति यादव कांग्रेस से भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव की पत्नी हैं और धर्मेंद्र यादव उनके भाई हैं। यही वजह है कि नियमों को दरकिनार कर उनके आवेदन पत्र को स्वीकार कर लिया गया और विज्ञापित भूमि से अधिक क्षेत्रफल का भूखंड दे दिया गया। इस मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 24 अगस्त तक सभी पक्षों को जवाब प्रस्तुत करने को कहा है।
तो इस तरह बन जाते हैं विधायक और सांसद धन कुबेर
विधायक के रिश्तेदारों द्वारा किया गया करोड़ों का जमीन घोटाला देश का कोई पहला मामला नहीं है । इसके पहले भी अनेक जनप्रतिनिधियों और उनके रिश्तेदारों द्वारा की गई काली कमाई का खुलासा किया जा चुका है । इन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो अकूत संपत्ति बनाने के लिए ही ये जन सेवक का चोला पहनकर राजनीति में आते हैं ताकि इनकी आने वाली सात पुश्तें बैठे बैठे खा सकें । देखा जाए तो किसी भ्रष्ट जनप्रतिनिधि को सत्ता में लाने के लिए जनता का ही बहुत बड़ा योगदान होता है ।
चुनाव लड़ना किसी ईमानदार और साधारण व्यक्ति के बस की बात नहीं रह गई है । राजनीति के इस खेल में करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा देने की हैसियत रखने वाला व्यक्ति ही जीत हासिल करता है । अब चुनाव जीतने के बाद जब ऐसे जनप्रतिनिधि अपने चुनावी खर्च को ब्याज समेत वसूलते हैं तो फिर इसके लिए दोषी तथाकथित विधायक और सांसद ज्यादा जिम्मेदार हैं या आम जनता ,ये आप तय करें ।
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