कुशल कूटनीतिज्ञ, रणनीतिकार और अर्थशास्त्री आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में मनुष्य के जीवन से जुड़ी तमाम बातों के बारे में जिक्र किया है। उन्होंने अपनी नीति शास्त्र के जरिए सफल दांपत्य जीवन के लिए कई सुझाव दिए हैं। चाणक्य नीति में पति और पत्नी को रिश्ते में मधुरता बनाए रखने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और किन गलतियों से से बचना चाहिए इसका भी जिक्र किया है। इसके अलावा उन्होंने व्यक्ति के स्वभाव और गुणों के बारे में विस्तार इस जिक्र किया है। साथ ही आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में महिलाओं के कुछ स्वभाव के बारे में बताया है। चाणक्य ने पहले मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त की सत्ता को बढ़ाने में सहायता की थी। मौर्य साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए उन्हें पूरा श्रेय दिया जाता है। ऐसा दावा किया जाता है कि चाणक्य द्वारा बताए गए नीतियों पर चलने से व्यक्ति के जीवन में कभी कष्ट नहीं आते । कोई महिला कितनी भी धूर्त और दुष्ट क्यों ना हो वह पुरुषों का बाल बांका भी नहीं कर सकती।
आइए श्लोक के माध्यम से जानते हैं आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को धन और स्त्री में से किसका चयन करना चाहिए।
श्लोक
मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टस्त्रीभरणेन च।
दुःखितैः सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यंवसीदति।।
उपरोक्त श्लोक चाणक्य नीति के प्रथम अध्याय का चतुर्थ श्लोक है। इसमें आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि शिष्य मूर्ख हो तो उसे उपदेश देना व्यर्थ है, यदि स्त्री दुष्ट हो तो उसका पालन पोषण करना व्यर्थ है। यदि आपका धन नष्ट हो गया है या आप किसी दुखी व्यक्ति के साथ तालमेल बना रहे हैं तो ऐसे में आप कितने भी बुद्धिमान हैं आपको कष्ट उठाना ही पड़ेगा।
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दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः।
ससर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव न संशयः ।।
उपरोक श्लोक प्रथम अध्याय का पंचम श्लोक है। इस श्लोक के अनुसार ज्यादा बोलने वाली, दुराचारिणी स्त्री और धूर्त, दुष्ट स्वभाव के नौकर और ऐसे घर में निवास जहां सांप के होने की संभावना है , कठोर वचन वाला मित्र, ये सब बातें मृत्यु के समान हैं।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस घर में स्त्रियां चरित्रहीन होती हैं, वहां घर के मुखिया की स्थिति एक मृतक के समान होती हैं। दरअसल घर का मुखिया कुछ कर नहीं पाता और भीतर ही भीतर कुढ़ता रहता है। इसी प्रकार यदि आपका कोई खास मित्र है लेकिन उसका स्वभाव अच्छा नहीं है या वह कुटिल स्वभाव का व्यक्ति है तो उस पर कभी विश्वास न करें। ऐसा मित्र कभी भी धोखा दे सकता है।
आपके अधीनस्थ काम करने वाला आपका कर्मचारी या कोई नौकर आपको पलट कर जवाब दे तो ऐसा व्यक्ति आपको कभी भी नुकसान पहुंचा सकता है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे कि आप किसी सांप के साथ रह रहे हैं और आप जाने कब सर्पदंश का शिकार हो जाएं।
आपदार्थे धनं रक्षेच्छ्रीमतां कुत आपदः ।
कदाचिच्चलते लक्ष्मीःसंचितोऽपिविनश्यति
आचार्य चाणक्य ने बताया है कि पैसों की रक्षा करनी चाहिए यानी पैसा बचाना चाहिए क्योंकि मुसीबत के समय वो ही पैसा आपकी रक्षा करता है, लेकिन जब स्त्री और पैसों में से किसी एक को चुनना पड़े तब पैसा छोड़कर स्त्री को चुनना ही बुद्धिमानी है। क्योंकि धर्म और संस्कारों के साथ वही स्त्री आपकी और आपके परिवार की रक्षा करती है। स्त्री के बिना धर्म-कर्म अधूरे माने जाते हैं और स्त्री के बिना गृहस्थ आश्रम भी पूरा नहीं होता। लेकिन जब बात अपनी आत्मा को बचाने की आती है तब स्त्री और पैसा दोनों का मोह छोड़ना ही उचित है। यानी जब अध्यात्म, तप और मोक्ष प्राप्ति के लिए इन दोनों को छोड़ना पड़े तब ज्ञानी और उत्तम पुरुष की तरह इन दाेनों का त्याग कर के अपनी आत्मा को परमात्मा से जोड़ना चाहिए।
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