चाणक्य नीति में कुछ ऐसी बातें बताई गई हैं, जिनका सार जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालता है. आचार्य चाणक्य ने न केवल जीवन के विषय में अपने श्लोक एवं उपदेशों के माध्यम से हमारा मार्ग दर्शन किया है बल्कि जीवन में किन कार्यों से बचना चाहिए इस विषय में भी बताया गया है. आचार्य चाणक्य कि गिनती श्रेष्ठतम विद्वानों में की जाती है. इसलिए विश्व उनके उपदेशों को गंभीरता से श्रवण करता है. आइए उन्हीं के कुछ श्लोकों के माध्यम से जानते हैं, जीवन के कुछ महत्वपूर्ण सीख.
कस्य दोषः कुलेनास्ति व्याधिना के न पीडितः ।
व्यसनं के न संप्राप्तं कस्य सौख्यं निरन्तरम् ।।
आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति कहा है कि इस दुनिया मे ऐसा कोई नहीं है जिस पर दाग न हो, वह कौन है जो रोग या दुख जैसे गंभीर परिस्थितियों से मुक्त है. सुख सदैव नहीं रहता है.
दुर्जनस्य च सर्पस्य वरं सर्पो न दुर्जनः ।
सर्पो दंशति काले तु दुर्जनस्तु पदे पदे ।।
अर्थात- एक कपटी और एक जहरीले सर्प में यही अंतर है कि सांप तभी डसता है जब उसे यह अभ्यास होता है कि उसकी जान पर खतरा है, लेकिन कपटी व्यक्ति पग-पग पर हानि पहुंचाने का प्रयास करता है. यही कारण है कि ऐसे व्यक्ति से सावधान रहना चाहिए.
सत्कुले योजयेत्कन्यां पुत्रं विद्यासु योजतेत् ।
व्यसने योजयेच्छत्रुं मित्रं धर्मे नियोजयेत् ।।
चाणक्य नीति के इस श्लोक का अर्थ है कि कन्या का विवाह अच्छे खानदान में करना चाहिए. बच्चों को श्रेष्ठ शिक्षा देनी चाहिए, शत्रु को आपत्ति और कष्टों में डालना चाहिए और मित्रों को धर्म-कर्म के कार्यों में लगाना चाहिए. जो ऐसा करते हैं वह सफलता प्राप्त करते हैं.
विषादप्यमृतं ग्राह्यममेध्यादपि काञ्चनम् ।
रनीचादप्युत्तमां विद्यांस्त्रीरत्नं दुष्कुलादपि ।।
इस श्लोक का अर्थ है कि यदि संभव है तो जहर मे से भी अमृत निकालने का प्रयास करना चाहिए. यदि सोना कुलीन जगह या गंदगी में भी पड़ा हो तो उसे उठाकर, साफ कर उसे उपयोग में लाना चाहिए. साथ ही कमजोर कुल में जन्म लेने वाले से भी सर्वोत्तम ज्ञान ग्रहण करने में कोई परहेज नहीं करना चाहिए.
तक्षकस्य विषं दन्ते मक्षिकायास्तु मस्तके।
वृश्चिकस्य विषं पुच्छे सर्वाङ्गे दुर्जने विषम्।।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में जहरीले जानवरों की तुलना दुष्ट व्यक्ति से की है. चाणक्य कहते हैं धूर्त व्यक्ति और जहरीले जीव में बस इतना ही फर्क है कि सांप अपने दांत से जहर छोड़ता है, मक्खी का विष उसके सिर में होता है, बिच्छू की पूंछ में जहर होता है लेकिन एक दुष्ट व्यक्ति का पूरा शरीर और मन विषैला होता है. ऐसे लोगों की संगति जीवन को बर्बाद कर देती है. ऐसे लोग किसी के सगे नहीं होते. ये अपने फायदे के लिए आपको भी मुसीबत में डाल सकते हैं.
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