गुणवत्तापूर्ण शोध के लिए युवा शोधार्थियों को सतत प्रयासरत होना चाहिए: प्रो. अरुण दिवाकर नाथ बाजपेयी

- Advertisement -

मध्यप्रदेश
अमरकंटक/स्वराज टुडे: इंडियन रिसर्च स्कॉलर्स एसोसिएशन द्वारा दस दिवसीय कार्यशाला का आयोजन 22 जुलाई से प्रारंभ हुआ । इस कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. अरुण दिवाकर नाथ बाजपेयी, माननीय कुलपति, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ (प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री एवं शिक्षाविद) उपस्थित रहे जिन्होंने शोध के विभिन्न आयामों पर परिचर्चा करते हुए कहा कि गुणवत्तापूर्ण शोध के लिए युवा शोधार्थियों को सदैव प्रयासरत होना चाहिए ।

आज यह कार्यशाला एसपीएसएस के द्वारा डेटा का विश्लेषण कैसे करे ? इस विशेष विषय पर आधारित है जिसका उपयोग विभिन्न विषयों के विभिन्न आयाओं से उपयोगी है । डेटा का सूक्ष्म विश्लेषण और उसका अपने शोध कार्य में सही संश्लेषण शोधार्थियों के शोध कौशल को दर्शाता है इसलिए आवश्यकता यह है कि जिन विषयों में जिन उपकरणों और सूत्रों की आवश्यकता है उन्हे सीखना जरूरी है । सामाजिक विज्ञान विषयों की प्रकृति बहुआयामी होती है इसलिए उसके प्रकृति के अनुसार, डेटा का संग्रह और विश्लेषण करना चाहिए । उन्होंने व्याख्यान के प्रारंभ में अपने फील्ड विजिट और कार्यशालाओं के अनुभवों को साझा किया और बताया कि उस दौरान बहुत सी गलतियाँ होती है जिसके कारण शोध के परिणाम सार्थक नहीं आ पाते हैं। उन्होंने अपने व्याख्यान में कहा कि हमें पूर्वाग्रहों से बचने की आवश्यकता है जब भी शोध कार्य किया जाए उसमें बिभिन्न परिस्थितियों का अनुमान लगाना आवश्यक है ।

इससे हममें सोचने–समझने में रुकावट पैदा होती है और हम नई चीजों को अपनाने में कतराते हैं। उन्होंने व्याख्यान में व्यावहारिक शोध अनुमानों और समन्वयन को भी साझा किया । उद्घाटन सत्र में विशिष्ट अतिथि प्रो. मनोज के. सक्सेना, विभागाध्यक्ष एवं डीन, शिक्षा विद्यालय, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, ओईआर सेल के मानद निदेशक और सदस्य, स्थायी समिति, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली, उपस्थित रहे। कार्यक्रम के शुरुआत में प्रो सक्सेना नें इस संस्था के पूरी टीम को शुभकामनाएं एवं बधाई दी और कहा कि ऐसे मंचों का होना जरूरी है जहां विद्यार्थी–शोधार्थी मिलकर कार्यक्रम आयोजित करते हैं।

इसके बाद उन्होंने एसपीएसएस के विभिन्न पहलुवों पर प्रकाश डाला और कहा जैसा कि हम सभी जानते हैं, डेटा विश्लेषण और व्याख्या मात्रात्मक विधि के आवश्यक अंग हैं। लेकिन अब हम भारत और भारत के बाहर देख सकते हैं कि विद्वान गुणात्मक विधियों, मात्रात्मक विधियों और मिश्रित विधियों में डेटा विश्लेषण के लिए विभिन्न सॉफ़्टवेयर का उपयोग कर रहे हैं। एक अध्ययन की योजना, डिजाइन, डेटा संग्रह, विश्लेषण, सार्थक व्याख्या और इसके निष्कर्षों का प्रकाशन सभी सांख्यिकीय विधियों का उपयोग करके किया जाता है। सांख्यिकीय विश्लेषण अन्यथा अर्थहीन आंकड़ों को अर्थ प्रदान करके डेटा विषय के तथ्यों को समृद्ध बनाता है । हम एसपीएसएस सॉफ्टवेयर की मदद से विभिन्न तालिकाएँ, आंकड़े और ग्राफ़ बना सकते हैं जो हमारे शोध को सार्थक और तथ्यात्मक रूप से अच्छा बनाते हैं। इस सॉफ्टवेयर की मदद से हम अपने उद्देश्य और परिकल्पना के अनुसार डेटा का विश्लेषण कर सकते हैं। कार्यशाला उद्घाटन सत्र में दूसरे विशिष्ट अतिथि प्रो. बी. बी. मोहंती, पांडिचेरी विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में प्रोफेसर और स्कोपस जर्नल के समाजशास्त्रीय बुलेटिन के प्रबंध संपादक, उपस्थित रहे । उन्होंने कहा कि सांख्यिकी ज्ञान हमें डेटा एकत्र करने, सही विश्लेषण करने और परिणामों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के लिए उचित तरीकों का उपयोग करने में मदद करता है।

सांख्यिकीय तरीके और विश्लेषण हमें मात्रात्मक साक्ष्य के आधार पर दावों का मूल्यांकन करने और उचित और संदिग्ध निष्कर्षों के बीच अंतर करने की अनुमति देते हैं। मुफ़्त और सर्वव्यापी डेटा उपलब्धता के साथ, लगभग हर कार्य क्षेत्र में डेटा के सांख्यिकीय विश्लेषण की मांग बढ़ रही है। इसे पृष्ठभूमि में रखते हुए, इस कार्यशाला को सांख्यिकी के डर को दूर करने, आवश्यक उपकरण सीखने और सांख्यिकीय पैकेज एसपीएसएस के माध्यम से अपने डेटा का विश्लेषण करने में आत्मविश्वास महसूस करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

SPSS एक व्यापक और उपयोगकर्ता के अनुकूल सांख्यिकीय पैकेज है जिसका व्यापक रूप से सामाजिक विज्ञानों में वैज्ञानिकों द्वारा मात्रात्मक डेटा का विश्लेषण करने के लिए उपयोग किया जाता है। SAV प्रारूप जिसमें एसपीएसएस में सभी डेटा सहेजे जाते हैं, विभिन्न प्रकार के डेटा के संग्रह और डेटा और सूचना के व्यवस्थित प्रबंधन को सक्षम बनाता है। एसपीएसएस उपकरण के माध्यम से शोधकर्ताओं को अपने शोध में सांख्यिकीय उपकरणों को जल्दी से लागू करने की अनुमति देता है, जो सटीक डेटा का विश्लेषण करने की उनकी सांख्यिकीय क्षमता में सुधार करता है। सांख्यिकीय उपकरण, जो विभिन्न सांख्यिकीय विश्लेषणों के लिए गुंजाइश प्रदान करता है, जटिल सांख्यिकीय कार्यक्रमों को भी हल कर सकता है।

परिणामों का सटीक आकलन करने के लिए गहन सांख्यिकीय कौशल प्रदान किए जाते हैं, और एसपीएसएस शोधकर्ताओं को स्पष्टता बढ़ाने के लिए डिज़ाइनिंग, प्लॉटिंग, रिपोर्टिंग और प्रस्तुतीकरण सुविधाओं में भी सहायता करता है। यह महत्वपूर्ण जानकारी से डेटा निकालने के लिए एक विशेष विधि भी प्रदान करता है। विशेषताओं में प्रवृत्ति विश्लेषण, अनुमान और पूर्वानुमान मॉडल शामिल हैं। कार्यक्रम के प्रारंभ में विकास कुमार,शोधार्थी, राजनीति विज्ञान एवं मानवाधिकार विभाग,इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक द्वारा स्वागत व्यक्तव्य दिया गया। उन्होंने हमारे अतिथि का स्वागत एवं अभिनंदन किया तथा कार्यक्रम के स्वरूप को व्याख्यायित किया। उन्होंने हमारे अतिथि का स्वागत एवं अभिनंदन किया तथा कार्यक्रम के स्वरूप को व्याख्यायित किया। इस कार्यक्रम का संचालन मनोरमा जामिया मिलिया स्लामिया विश्विद्यालय द्वारा किया गया तथा कार्यक्रम का सह–संचालन साक्षी सिंह,शोधार्थी, बीएचयू द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में सौ प्रतिभागियों का चयन भारत के विभिन्न प्रदेशों से किया गया है जो इस कार्यक्रम का हिस्सा होंगें।

कार्यक्रम में संचालन टीम के सभी सदस्य उपस्थित रहे जिनमें गनेशी लाल,शोधार्थी,अश्विनी,शोधार्थी,नैना प्रसाद,शोधार्थी, नेहा प्रसाद, श्रीमती आशा राजपुरोहित, सहायक प्रोफेसर सरकारी कॉलेज, सैलाना , अश्विनी, अंकिता , सुनीता यादव, सुभंगी एवं अंजना आदि उपस्थित रहे।

दीपक साहू

संपादक

- Advertisement -

Must Read

- Advertisement -
507FansLike
50FollowersFollow
940SubscribersSubscribe

ना आतिशी ना सौरव और ना ही राघव चड्ढा, ‘आप’ के...

नई दिल्ली/स्वराज टुडे: दिल्ली की राजनीति की क्या ही बात करें, सीएम अरविंद केजरीवाल की रिहाई के बाद राजनीति में गर्माहट में कमी की...

Related News

- Advertisement -