उत्तरप्रदेश
आगरा/स्वराज टुडे: कोरोना काल में बच्चों के हाथ में मोबाइल आ गए। ऑन लाइन क्लासेज के चक्कर में घरवालों ने मोबाइल बच्चों को थमा दिए। इसके दुष्परिणाम रोज सामने आ रहे हैं। दो बच्चों को मोबाइल पर गेम खेलने की लत लग गई। एक के पिता के खाते से 39 लाख तो दूसरे के पिता के खाते से 12 लाख रुपये कट गए। इतनी बड़ी रकम खाते से कटने पर घरवालों के होश उड़ गए। साइबर सेल मामला आया तो छानबीन में राज खुले। रेंज साइबर थाने में गेम प्रोवाइडर कंपनी के खिलाफ मुकदमा लिखा गया है।
कंपनी नहीं माता-पिता की गलती- गेम प्रोवाइडर कंपनी
खास बात यह है कि रेंज साइबर थाना पुलिस भी यह समझ नहीं पा रही है कि किस आधार पर कार्रवाई करे। एक्सपर्ट की राय ली जा रही है। सिंगापुर बेस गेम प्रोवाइडर कंपनी के पास पैरोकारों की फौज है। वे बोल रहे हैं कि गेम डाउनलोड करते समय कई शर्ते लिखी होती हैं। उन्हें एग्री करने पर ही गेम डाउनलोड होता है। गेम में आगे की स्टेज और आधुनिक हथियार खरीदने के लिए भुगतान करना होता है। गेम खेलने वालों ने उसे ओके किया तभी खाते से रकम कटी। इसमें कंपनी की गलती कहां है। अभिभावकों की गलती है। उन्हें यह देखना चाहिए था कि बच्चे क्या कर रहे हैं। दोनों पीड़ित रिटायर फौजी हैं। रेंज साइबर थाना पुलिस ने भी तय कर लिया है कि कानूनी कार्रवाई करनी है। विधिक राय ली गई है।
रेंज साइबर थाना प्रभारी आकाश सिंह ने बताया कि मुकदमा दर्ज करके जांच की जा रही है। मोबाइल पर बच्चा क्या कर रहा है इसकी पड़ताल जरूर करें।
अभिभावक ध्यान रखें बच्चा मोबाइल में क्या देख रहा है
अभिभावक जरूरी काम में व्यस्त होते हैं तो बच्चों को अपना फोन पकड़ा देते हैं। यही से ऑनलाइन वीडियो और गेम खेलने की लत लगने लगती है। वह क्या देख रहा है इस पर अभिभावक ध्यान नहीं देते। आप भी यदि ऐसा करते हैं तो आपको अपनी आदत बदलनी होगी।
पैरेंटल लॉक सेटिंग खंदौली क्षेत्र निवासी सेवानिवृत्त फौजी के खाते से 39 लाख रुपये निकले थे। साइबर थाना पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि यह रकम पेटीएम से कोडा पेमेंट और इसके बाद सिंगापुर के एक खाते में ट्रांसफर हुई थी। खाता क्राफ्टन कंपनी का है। इस कंपनी का बैटल ग्राउंड्स इंडिया के नाम से मोबाइल गेम है। जो भारत में बहुत प्रचलित है। इंडिया में पबजी प्रतिबंधित है। पबजी के बाद मोबाइल गेम खेलने वाले इसके दीवाने हो गए हैं। दिनभर मोबाइल पर इसे खेलते रहते हैं। आगे क्या होगा। यह जानने की होड़ में बिना यह जाने की कितनी रकम कटेगी यस करते चले जाते हैं।
गूगल प्ले से ऐप ऐसे करें लॉक
गूगल प्ले स्टोर पर जाइए। ऊपर दिख रहे तीन बार पर क्लिक करें। यहां से आपको सेटिंग का ऑप्शन मिलेगा। सेटिंग के अंदर जाने पर आपको फैमिली ऑप्शन में पैरेंटल कंट्रोल दिखेगा। इसे ऑन करते ही पिन मांगेंगा वहां पर जाकर आप नया पिन डाल दें। जो आपको याद रहे।
इन तरीकों को भी आजमाएं अभिभावक
- आपको बच्चों से एकदम से मोबाइल नहीं छीन लेना है बल्कि उनके लिए कुछ ग्राउंड रूल्स सेट करने है जिससे उनकी आदत धीरे-धीरे खुद ही छूट जाए।
- सुबह की शुरुआत ना खुद मोबाइल के साथ करें और ना बच्चों को करने दें। जब बच्चे अपने फेवरेट शो देखने के लिए मोबाइल मांगें तो आप टीवी पर उनके शोज चला सकते हैं। वहीं टीवी देखने का समय भी बच्चों के लिए निर्धारित करें।
- यह घर का नियम होना चाहिए कि खाने की टेबल पर कभी भी फोन (Phone) लेकर ना बैठा जाए. बड़े भी यही करेंगे तो बच्चे भी जिद्द नहीं करेंगे.
- बच्चों को गेम खेलने के लिए बोर्ड गेम्स या फिजिकल एक्टिविटीज कराएं. मोबाइल का इस्तेमाल गेम्स के लिए जितना ना हो उतना अच्छा.
- एक चीज जिसका आपको ध्यान देना है वह यह है कि बच्चों का रोना चुप कराने के लिए मोबाइल थमाने की आदत छोड़ दें।फोन में कार्टून या कुछ फनी वीडियो दिखाने की बजाय आप घुटनों पर बैठकर बच्चे का खिलौना बन जाइए। बच्चा आपको देखकर अपना रोना भूल जाएगा. मोबाइल का आसान तरीका एडिक्शन (Mobile Addiction) को बढ़ाने का रास्ता होता है।
- सोशल मीडिया पर रील्स देखने की आदत (Habit) बच्चों में ना डालें। कोशिश करें आप भी ऐसा ना करें।
- दिन के समय जब बच्चे फोन मांगना चाहें तब उन्हें किसी और एक्टिविटी कराने के बारे में सोचें। छोटी उम्र में बच्चों को जो चीज सबसे अच्छी दिखती है वो उसी की तरफ खिंचे चले जाते हैं। मोबाइल को सबसे बोरिंग चीज की तरह बच्चों को प्रजेंट करेंगे तो वे खुद ही उससे दूर रहेंगे।
- बच्चे जब मोबाइल की ज्यादा जिद करें तो मोबाइल का नेट बंद कर दे। बिना नेट के मोबाइल किसी डिब्बे से कम नहीं है। इससे आप भी प्रभावित होंगे लेकिन लत है तो छुड़ाने के लिए कुछ तो करना ही पड़ेगा।
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