कुसमुंडा खदान में अचानक पानी व मलवे का फूटा सैलाब, एक अधिकारी का मिला शव

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छत्तीसगढ़
कोरबा/स्वराज टुडे: साऊथ इस्टर्न कोलफिल्ड इस्टर्न लिमिटेड एसईसीएल की कुसमुंडा कोयला खदान में वर्षा के दौरान पानी व मलवे के सैलाब की चपेट में आने से एक अंडर मैनेजर बह गया था । देर रात उनका शव बरामद कर लिया गया।

एक माइनिंग सरदार करीब 300 मीटर दूर मलबे के बीच बेहोश अवस्था में मिला। वहीं चार अन्य कर्मचारियों ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई। सैलाब की तीव्रता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि लोहे का बना रेस्ट सेल्टर भी उखड़कर मलवे में दब गया।

देश के दूसरे सबसे बड़े कुसमुंडा कोयला खदान में यह दर्दनाक हादसा शनिवार को दोपहर करीब तीन बजे हुआ। उस समय तेज वर्षा हो रही थी। जनरल शिफ्ट के अधिकारी व कर्मचारी ड्यूटी में थे। खदान के वीरान स्थल गोदवरी फेस में भारी वर्षा की वजह से जितेंद्र कुमार नागरकर शिफ्ट इंचार्ज व अंडर मैनेजर, धरमसिंह माइनिंग सरदार व चार अन्य कर्मचारी फंस गए। वर्षा से बचने खदान के अंदर लोहे के स्ट्रक्चर के रेस्ट सेल्टर में सभी शरण लिए हुए थे। बताया जा रहा है कि अचानक रेस्ट सेल्टर के पीछे ओवरबर्डन खदान के मिट्टी निकासी का टिला के ऊपर से पानी के साथ मलबे का सैलाब फूट पड़ा।

रेस्ट सेल्टर में मौजूद छह में चार कर्मचारी किसी तरह भागकर अपनी जान बचा लिए पर नागरकर का गमबूट कीचड़ में फंस गया और वह भाग नहीं सके। देखेते ही देखते मलबे में दब गए। धरमसिंह भी सुरक्षित स्थल की ओर भागे पर वह भी कमर तक मलवा में दब गया। किसी तरह वह बाहर निकला तब तक उसकी हालत खराब हो चुकी थी। चूंकि इस स्थल पर कर्मचारियों का आना जाना कम होता है इस वहज से इस घटना की जानकारी तब हुई जब कुछ कर्मचारियों ने माइनिंग सरदार धरमसिंह को बेहोश अवस्था में देखा। इसके साथ ही खदान के अंदर खलबली मच गई। सबसे पहले धरमसिंह को गेवरा के विभागीय अस्पताल भेजा गया। यहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हे अपोलो अस्पताल बिलासपुर इलाज के लिए भेज दिया गया। चिकित्सकों ने उनकी हालत खतरे से बाहर बताई है। इस घटना के बाद एसईसीएल के शीर्ष अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए हैं।

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घटना स्थल पर अंधेरा, आज शुरू होगी रेस्क्यू

शाम को राज्य आपदा प्रबंधन एसडीआरएफ व एसइसीएल की विभागीय रेस्क्यू टीम ने मोर्चा संभाला और मलवे में दबे अधिकारी नागर को निकालने की कोशिश शुरू की गई। कुछ ही देर में घटना स्थल पर अंधेरा हो गया। फ्लर्टलाइट मोबाइल वाहन मौके पर बुलाए गए पर पर्याप्त रोशनी नहीं होने की वजह से रेस्क्यू टीम को दिक्कत का सामना करना पड़ा। लेकिन देर रात जितेंद्र कुमार नगरकर का शोभाराम कर लिया गया ।

उधर भारी वाहन से मलवा हटाए जाने का काम किया जाना है पर वहां तक वाहन की पहुंच नहीं होने की वजह से मार्ग तैयार किए जाने काम शुरू किया गया। बताया जा रहा कि रविवार की सुबह युद्ध स्तर पर मलवा हटाने का काम किया जाएगा।

ओबी का निरीक्षण करने निकले थे नागरकर समेत छह कर्मी

कुसमुंडा खदान के ओव्हर बर्डन का काम गोदावरी नामक निजी कंपनी को दिया गया है। वर्षा में ओव्हर बर्डन का काम का निरीक्षण करने जितेंद्र कुमार नागरकर समेत चार कर्मी गए थे, इस दौरान यह घटना हुई।बाहर निकले अफसरों से सूचना मिलने पर एसईसीएल के उच्च अधिकारी मौके पर पहुंच गए। प्रशासन व पुलिस के अफसरों को भी जानकारी दी गई। जानकारी मिलने के बाद कुसमुंडा थाना की पुलिस व पुलिस के उच्च अधिकारी मौके पर पहुंचे। एसडीआरएफ की टीम भी बिलासपुर से पहुंच गई है।

सभी एक दूसरे का हाथ थाम निकलने की कर रहे थे कोशिश

मामले में दर्री सीएसपी रविंद्र मीणा ने बताया कि चारों कर्मी खदान में काम का निरीक्षण करने गए थे। इस दौरान तेज वर्षा शुरू हो गई और पानी का तेज बहाव आने लगा। चारों अधिकारी एक दूसरे का हाथ थाम कर बाहर निकलने का प्रयास कर रहे थे। इस दौरान एक अधिकारी जितेंद्र नागरकर का हाथ छूट गया और वे पानी में बह गए।

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प्रबंधन की लापरवाही, 11 माह में गई पांच की जान

खदान में होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए एसईसील गंभीर नहीं है। कोल इंडिया की ओर से कंपनी को हर साल सुरक्षा के लिए अच्छा खासा बजट देती है। इसके बाद भी लगातार दुर्घटनाएं हो रही। बीते छह साल में 80 से अधिक हादसे हुए और पचास लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। पिछले 11 माह के अंदर 15 गंभीर हादसे हुए हैं। दीपका खदान मे पारस यादव नाम ठेका मजदूर की मौत हो गई। कुर्जा ओपन कास्ट में 16 नवंबर को एमएस कंवर की हादसे मे जान चली गई। पांच जुलाई को रजगामार में राधेश्याम व दीपका खदान में ईपी फीटर लालदास की मौत हो गई। इसके पीछे प्रबंधन की उत्पादन की होड़ व सुरक्षा की अनदेखी का माना जा रहा।

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दीपक साहू

संपादक

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