छत्तीसगढ़
सक्ती/स्वराज टुडे: जिला विधिक प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं जिला सत्र न्यायाधीश जांजगीर सुरेश कुमार सोनी के निर्देशानुसार तथा तहसील विधिक सेवा प्राधिकरण की अध्यक्ष श्रीमती गीता नेवारे के मार्गदर्शन में विशेष न्यायाधीश यशवंत कुमार सारथी द्वारा उपजेल सक्ती में विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
यहां विचाराधीन बंदियों को विभिन्न महत्वपूर्ण कानूनों की जानकारी प्रदान की गई। विशेष न्यायाधीश सारथी ने बंदियों को संबोधित करते हुए कहा कि कानून सम्मत व्यवहार करके तथा कानूनों का पालन करके अपराध से बचा जा सकता है तथा भावी जीवन में सद्मार्ग पर चल कर सभी बंदी शांति और खुशहाली से अपने जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
अपने परिवार ग्राम समाज व राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह सभी बंदियों को करना चाहिए । न्यायाधीश सारथी ने संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन करा कर बंदियों को उनके विभिन्न कानूनी अधिकारों की जानकारी दी तथा बंदियों से चर्चा कर उनके समस्याओं की जानकारी प्राप्त की। इसके बाद जेल परिसर का निरीक्षण किया एवं बंदियों के स्वास्थ्य चिकित्सा सुरक्षा एवं जेल परिसर की साफ-सफाई के संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश उपजेल अधीक्षक को दिए।
इस अवसर पर अधिवक्ता चितरंजय पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि इंसान एक सामाजिक प्राणी है और सामाजिक न्याय का मतलब समाज के सभी वर्गों का समान विकास तथा उन्हें विकास के संसाधन उपलब्ध कराना है। फास्ट ट्रेक पोक्सो कोर्ट शक्ति के विशेष लोक अभियोजक राकेश महंत ने बंदियों को संबोधित करते हुए कहा कि जेल से रिहा होकर अतीत को भूल कर अपराध की पुनरावृत्ति न करते हुए समाज में जाकर सदाचरण से अपना भविष्य उज्जवल बनाएं तथा अपने परिवार समाज तथा ग्राम के प्रति एक अच्छे नागरिक की दायित्व का निर्वहन अच्छे से करें।
जेलर सतीश चन्द्र भार्गव ने स्वागत भाषण देते हुए जेल परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों और आगंतुकों का आभार व्यक्त करते हुए सबका अभिनंदन किया।
इस अवसर पर उप जेल सक्ती में आयुर्वेद चिकित्सा शिविर भी आयोजित किया गया था जिसमें डॉ उत्तम गबेल व डा अनिल पटेल ने बंदियों को स्वास्थ्य जांच उपरांत निःशुल्क दवा वितरण किया । उक्त कार्यक्रम में न्यायालय के कर्मचारी जय नारायण देवांगन, आरक्षक सुरेंद्र गोरे , उपजेल सक्ती के अधिकारी कर्मचारी एवं विचाराधीन बंदी उपस्थित थे।
*पर्सन राठौर की रिपोर्ट*
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