इंडोनेशिया में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ फूटा गुस्सा, शरणार्थी शिविर पर छात्रों ने किया हमला

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नई दिल्ली/स्वराज टुडे: दुनिया के सबसे बड़े इस्लामिक देश इंडोनेशिया में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है और इंडोनेशिया के पश्चिमी प्रांत आचे में सैकड़ों विश्वविद्यालय छात्रों ने रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए बनाए गये एक अस्थायी आश्रय स्थल पर हमला कर दिया है और उन्हें निर्वासित करने की मांग की है।

म्यांमार के उत्पीड़ित अल्पसंख्यक समूह के खिलाफ भेदभाव की नवीनतम घटना में, प्रदर्शनकारियों ने बुधवार को बांदा आचे शहर के एक सम्मेलन केंद्र से 100 से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमानों को बाहर कर दिया।

इंडोनेशिया में रोहिंग्या के खिलाफ गुस्सा

नवंबर महीने से 1,500 से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी आचे के समुद्री तट पर आ चुके हैं और संयुक्त राष्ट्र का कहना है, कि यह आठ वर्षों में उनकी सबसे बड़ी आमद है। वहीं, रोहिंग्या मुस्लिमों की कई नौकाओं को इंडोनेशिया के स्थानीय लोगों ने समुद्र तट पर आने भी नहीं दिया। वहीं, कुछ नौकाओं को सिर्फ खाना खाने और जरूरी सामान लेने के लिए ठहरने दिया गया और फिर उन्हें वापस समुद्र में भेज दिया गया।

विरोध प्रदर्शन करते हुए छात्रों का वीडियो वायरल

इंडोनेशिया से ताजा घटना का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा रहा है, कि अलग अलग विश्वविद्यालयों के छात्र जैकेट पहने हुए हैं और कन्वेंशन सेंटर के बेसमेंट में भागते हुए, “उन्हें बाहर निकालो” और “रोहिंग्या की एंट्री बंद करो” जैसे नारे लगा रहे थे।

छात्रों को फर्श पर बैठे रोहिंग्या पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के सामान को लात मारते दिखाया गया है, जबकि डर से भरे रोहिंग्या मुस्लिमों को रोते हुए भी देखा गया है। फिर शरणार्थियों को बाहर ले जाया गया, कुछ अपना सामान प्लास्टिक की बोरियों में भरकर ट्रकों में रख दिया गया।

समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाए और भयभीत रोहिंग्या की सुरक्षा कर रही पुलिस के साथ हाथापाई की, लेकिन अधिकारियों ने अंततः छात्रों को शरणार्थियों को हटाने की अनुमति दे ही दी। पुलिस ने शरणार्थियों को पास के दूसरे सरकारी कार्यालय में ले जाने से पहले ट्रकों पर चढ़ने में मदद की।

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) ने एक बयान में कहा, कि वह “कमजोर शरणार्थी परिवारों, जिनमें से ज्यादातर बच्चे और महिलाएं हैं, उन्हें आश्रय देने वाली जगह पर भीड़ के हमले को देखकर बहुत परेशान थी” और उसने बेहतर सुरक्षा का आह्वान किया है।

यूएनएचसीआर के बयान में कहा गया है, कि “भीड़ ने पुलिस का घेरा तोड़ दिया और 137 शरणार्थियों को जबरन दो ट्रकों में डाल दिया, और उन्हें बांदा आचे में दूसरे स्थान पर ले जाया गया। इस घटना ने शरणार्थियों को स्तब्ध और आघात पहुंचाया है।”

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने कहा कि यह हमला गलत सूचना और नफरत फैलाने वाले भाषण के समन्वित ऑनलाइन अभियान का परिणाम था। आचे के लोग, जो रोहिंग्या मुस्लिमों से सहानुभूति तो रखते हैं, लेकिन उनका कहना है, कि उनकी धैर्य की इंतहा हो चुकी है। स्थानीय लोगों का दावा है, कि रोहिंग्या उनके दुर्लभ संसाधनों का उपभोग करते हैं और स्थानीय लोगों के साथ संघर्ष में आ जाते हैं।

स्थानीय लोगों का दावा: रोहिंग्या शरणार्थियों के आने के बाद बढ़ गया है क्राइम 

स्थानीय लोगों का दावा है, कि रोहिंग्या शरणार्थी लूटपाट करते हैं और उनके आने के बाद क्राइम काफी बढ़ गया है। इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो ने रोहिंग्या के आगमन में हालिया वृद्धि के लिए मानव तस्करी को जिम्मेदार ठहराया है और अस्थायी आश्रय प्रदान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ काम करने का वादा किया है।

इंडोनेशिया ने पड़ोसी देशों से किया ये आह्वान

इंडोनेशिया संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है और उसने कहा है, कि उसे म्यांमार से शरणार्थियों को लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है, इसके बजाय उसने पड़ोसी देशों से बोझ साझा करने और उसके तटों पर आने वाले रोहिंग्या को फिर से बसाने का आह्वान किया है।

दीपक साहू

संपादक

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