
नई दिल्ली/स्वराज टुडे: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 साल की उम्र में निधन हो गया, शनिवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. कांग्रेस ने मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार और उनके स्मारक के लिए उचित स्थान की मांग की थी.
इसको लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा, लेकिन गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर पूर्व पीएम का सुबह 11 बजकर 45 मिनट पर दिल्ली के निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार किया जाने की जानकारी दी. इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान के लिए स्मारक बनाए जाने को लेकर कांग्रेस और कई विपक्षी नेताओं की ओर से मांग तेज हो गई है.
निगमबोध घाट पर किया जाएगा पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार- गृह मंत्रालय
गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “सरकार ने निर्णय लिया है कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 28 दिसंबर, 2024 को सुबह 11 बजकर 45 मिनट पर दिल्ली के निगमबोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा.”
वहीं स्मारक बनाए जाने को लेकर बढ़ते विवाद के बाद आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का स्मारक बनाने का फैसला किया है. हालांकि सरकार का ये भी कहना है कि स्मारक बनाने के लिए उचित स्थान ढूंढने में कुछ दिन लगेंगे.
इससे पहले कांग्रेस ने मुख्यालय में पार्टी की कार्य समिति की बैठक की. जिसमें नेताओं ने डॉक्टर मनमोहन सिंह का स्मारक और मेमोरियल बनाए जाने की मांग की.
मनमोहन सिंह के कद के मुताबिक दिया जाए उचित स्थान- मल्लिकार्जुन खरगे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा और कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कद को देखते हुए उनका अंतिम संस्कार वहीं कराया जाए, जहां एक स्मारक का निर्माण कराया जा सके. उन्होंने इसके लिए मोदी सरकार से जगह आवंटित करने का आग्रह किया. पत्र में उन्होंने उल्लेख किया कि ऐसा करके राजनेताओं व देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों की याद में स्मारक बनाने की परंपरा का पालन हो सकेगा. पत्र के आखिर में कांग्रेस अध्यक्ष ने लिखा कि आशा ही नहीं, विश्वास भी है कि सरदार मनमोहन सिंह के कद को देखते हुए सरकार उनके स्मारक के लिए उचित स्थान आवंटित करेगी.
संभावना जताई जा रही थी कि मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार एकता स्थल के पास बने राष्ट्रीय स्मृति स्थल में होगा. मई 2013 में मनमोहन कैबिनेट के फ़ैसले से ही राष्ट्रीय स्मृति स्थल बनाया गया था, जिसका इस्तेमाल राष्ट्रपति , पूर्व राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और अन्य गणमान्य लोगों के अंतिम संस्कार के लिए होता है.
भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री का किया गया अपमान- कांग्रेस
हालांकि सरकार के इस मांग को ठुकराने के बाद विपक्ष के हमले तेज हो गए. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अंत्येष्टि और स्मारक के लिए स्थान नहीं ढूंढ पाना, भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री का जान-बूझकर किया गया अपमान है.
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘आज सुबह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सुझाव दिया था कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार ऐसे स्थान पर किया जाए जहां उनकी विरासत का सम्मान करने के लिए एक स्मारक बनाया जा सके. हमारे देश के लोग यह समझने में असमर्थ हैं कि भारत सरकार उनके दाह संस्कार और स्मारक के लिए कोई ऐसा स्थान क्यों नहीं खोज सकी, जो उनके वैश्विक कद, उत्कृष्ट उपलब्धियों के रिकॉर्ड और दशकों से राष्ट्र के लिए अनुकरणीय सेवा के अनुरूप हो.’
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर किया जाना, अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. उनका अंतिम संस्कार वहीं किया जाना चाहिए जहां अन्य पूर्व प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार हुआ है. पंजाब के इस महान सपूत को, जिनकी विद्वता, ज्ञान और दूरदर्शिता के लिए दुनिया भर में सम्मान मिला, उन्हें दस वर्षों तक भारत के उनके नेतृत्व के अनुरूप अंतिम विदाई दी जानी चाहिए. उनकी स्मृति का सम्मान करने के लिए कम से कम इतना तो किया ही जाना चाहिए.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस की मांग का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री की समाधि के संदर्भ में सम्मान की परंपरा का निर्वहन होना चाहिए. न इस विषय पर किसी राजनीति की आवश्यकता है, न होनी चाहिए. डॉ. मनमोहन सिंह जी की समाधि राजघाट पर ही बननी चाहिए।. भाजपा अपनी संकीर्ण सोच का अनुचित उदाहरण प्रस्तुत न करे. इतिहास भाजपा को उसके इस नकारात्मक नज़रिये के लिए कभी माफ़ नहीं करेगा.
वहीं शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने भी स्मारक के लिए जगह तय नहीं किए जाने को लेकर केंद्र सरकार की निंदा की है. बादल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा, “स्तब्ध करने वाला और अविश्वसनीय. यह अत्यंत निंदनीय है कि केंद्र सरकार ने डॉ मनमोहन सिंह जी का अंतिम संस्कार ऐसे किसी स्थान पर करने के उनके परिवार के अनुरोध को मानने से इनकार कर दिया है, जहां राष्ट्र के प्रति उनके बेमिसाल योगदान को याद करने के लिए उनका उचित और ऐतिहासिक स्मारक बनाया जा सके.”
बादल ने कहा कि ये बात समझ में नहीं आती कि सरकार एक महान नेता के प्रति इतना अनादर क्यों दिखा रही है, जो प्रधानमंत्री पद पर पहुंचने वाले सिख समुदाय के एकमात्र सदस्य हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि भाजपा सरकार इस हद तक पूर्वाग्रह रखेगी कि डॉ मनमोहन सिंह जैसे वैश्विक कद वाले नेता का इतना अनादर किया जाएगा. उन्होंने अनुरोध किया कि सरकार के इस निंदनीय फैसले को बदलने के लिए व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करें.
कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. डॉ. मनमोहन सिंह जी का संपूर्ण जीवन राष्ट्र के नाम समर्पित रहा. उनके द्वारा लिए गए निर्णयों और जनकल्याणकारी योजनाओं ने देशवासियों को लाभान्वित करने के साथ ही विश्व पटल पर भी सशक्त भारत की नई तस्वीर प्रस्तुत की. ऐसे महान व्यक्तित्व का अंतिम संस्कार ऐसे स्थल पर होना चाहिए जहां उनकी स्मृति में स्मारक बनाया जा सके. यह उनकी स्मृतियों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
कांग्रेस नेता अलका लांबा ने भी केंद्र सरकार के इस फैसले की निंदा की. उन्होंने ट्वीट कर प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि आपकी सरकार का ये फैसला बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. डॉक्टर मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार और स्मारक सम्मान के साथ बिना किसी विवाद के होना चाहिए था. भारत माता के सपूत सरदार मनमोहन सिंह से उनके जाने के बाद किस बात का बदला लिया जा रहा है.
2013 में गणमान्य लोगों के लिए ‘राष्ट्रीय स्मृति’ निर्माण की दी गई थी मंजूरी
2013 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राजधानी दिल्ली में एकता स्थल के पास समाधि परिसर के लिए ‘राष्ट्रीय स्मृति’ के निर्माण को मंजूरी दी थी, ताकि दिवंगत राष्ट्रीय नेताओं जैसे राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, पूर्व राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, पूर्व प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल द्वारा तय किए गए गणमान्य लोगों के अंतिम संस्कार के लिए एक स्थान तय किया जा सके.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विभिन्न पदों पर रहते हुए देश की आर्थिक नीति पर अपनी गहरी छाप छोड़ी. उन्होंने रिजर्व बैंक के गवर्नर, भारत सरकार के आर्थिक सलाहकार व अन्य संगठनों में विभिन्न पदों पर रहते हुए बहुत सराहनीय काम किया. दुनिया भर के नेता उनका आदर व सम्मान करते थे. उन्होंने 2008 में वैश्विक आर्थिक मंदी से भी भारत को काफी हद तक सुरक्षित रखा था.
मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के तौर पर देश को आर्थिक संकट से उबारा
नब्बे के दशक में जब देश गहरे आर्थिक संकट में था, तब वित्त मंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह ने उसे उबारा और देश की आर्थिक समृद्धि व स्थिरता प्रदान की. उन्होंने अर्थव्यवस्था की जो मजबूत नींव रखी, उसका लाभ देश उठा रहा है. उनका अनुभव, उनकी विनम्रता, उनका योगदान उन्हें एक विश्व नेता बनाता है.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने पद पर रहने के दौरान एक बार अपने भाषण में कहा कि जब भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बोलते हैं, तो पूरी दुनिया सुनती है.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसी साल संसदीय राजनीति को भी अलविदा कह दिया था. लंबे समय तक राज्यसभा सांसद रहे डॉ. मनमोहन सिंह का कार्यकाल बतौर सांसद 3 अप्रैल 2024 को समाप्त हो गया था. इसके बाद उन्होंने इस सफर को आगे न बढ़ाने का निर्णय लेते हुए संसदीय राजनीति को सदैव के लिए अलविदा कह दिया. दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह के लिए बतौर सांसद यह आखिरी पारी थी.
भारतीय अर्थव्यवस्था में नई वित्तीय और प्रशासनिक सुधारों के जनक रहे मनमोहन सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री लंबे समय तक राज्यसभा सांसद रहने वाले देश के चुनिंदा नेताओं में शुमार थे. वह लगभग 33 साल तक राज्यसभा सांसद रहे. उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में नई वित्तीय और प्रशासनिक सुधारों की शुरुआत की. वर्ष 1991 में वह पहली बार राज्यसभा के सदस्य बने थे. उसी साल वह 1991 से 1996 तक तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री रहे और फिर 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे. उनके निधन से देश में परिवर्तनकारी नेतृत्व के एक युग का अंत हो गया है.
यह भी पढ़ें: 2050 तक मुस्लिम राष्ट्र बन जाएगा भारत, हिंदू धर्म बनेगा दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म: रिपोर्ट में खुलासा
यह भी पढ़ें: स्टेशन मास्टर के बंपर पदों पर भर्ती जारी, आवेदन यहाँ से करें, डायरेक्ट लिंक
यह भी पढ़ें: चाणक्य नीति: दूसरों को गलती से भी न बताएं ये 5 बातें, नहीं तो जिंदगी हो जाएगी बर्बाद

Editor in Chief