नई दिल्ली/स्वराज टुडे: आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। कठुआ से डोडा तक सक्रिय आतंकियों की मदद करने वाले मास्टरमाइंड समेत नौ लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। कठुआ के अंबे नाल का रहने वाला मोहम्मद लतीफ उर्फ हाजी लतीफ ही मुख्य सरगना है।
वह आतंकियों के नेटवर्क को चला रहा था। पकड़े गए लोगों में हाजी लतीफ का बेटा लियाकत, भाई नूरानी निवासी जुथाना व अन्य लोग शामिल हैं। यह सभी कठुआ के रहने वाले हैं।
लतीफ पाकिस्तान के साथ मिलकर देश के खिलाफ साजिश रचने के साथ ही आतंकियों की मदद करता रहा है। इसका खुलासा हीरानगर के सैडा सोहल में 11-12 जून को आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ के दौरान हुआ। सूत्रों के अनुसार, लतीफ घुसपैठ कर आने वाले आतंकियों के लिए गाइड का काम करता था। सैडा सोहल मुठभेड़ में शामिल आतंकियों को सांबा से कठुआ के इलाके में प्रवेश कराने और कैलाश कुंड के पास सुरक्षित पहुंचाने का काम हाजी और उसके परिवार के सदस्यों ने ही किया था। इतना ही नहीं, उसने कई लोगों को शामिल करते हुए आतंकी मददगारों का एक ओवरग्राउंड नेटवर्क तैयार किया था।
पाकिस्तानी हैंडलरों के संपर्क में था हाजी
हाजी पाकिस्तान में बैठे आतंकी हैंडलरों के सीधे संपर्क में था। डोडा के गंदोह में मारे गए तीन आतंकियों को भी हाजी लतीफ ने पनाह दी थी। लतीफ अब तक 20 से अधिक आतंकियों को घुसपैठ के बाद सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचा चुका है। 60 वर्ष का सरगना पूरा नेटवर्क पैसों के लिए चला रहा था।
एडीजीपी आनंद जैन ने बताया कि लतीफ को उधमपुर-कठुआ-डोडा जिलों के पहाड़ों और जंगलों की ऊपरी पहुंच में कैलाश पर्वत के आसपास की जानकारी है। वह इलाके में ओजीडब्ल्यू के पूरे नेटवर्क का सरगना है। इलाके से गुजरने वाले आतंकियों के समूहों के लिए गाइड आदि के रूप में काम करता था। लतीफ ने आतंकियों को सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाने, उनके लिए खाने पीने का सामान मुहैया कराने के लिए दूसरे लोगों को अपने साथ जोड़ा। किसी को 500 तो किसी को हजार रुपये देकर उनसे आतंकियों के लिए सामान जमा किया।
ये हुए गिरफ्तार
मोहम्मद लतीफ, अख्तर अली निवासी अंबे नाल, नूरानी निवासी जुथाना, मकबूल निवासी सोफेन, लियाकत , कासिम दीन , खादिम उर्फ काजी कट्टल भडू,सददाम, कुशाल निवासी बिलावर ।
50 चरवाहों को दबोचा, तब मिला किंगपिन
केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों से मिली लीड और डोडा-गंदोह मुठभेड़ से मिले सुराग हाजी तक पहुंचने में मददगार साबित हुए। पुलिस ने कठुआ के ऊपरी क्षेत्रों में बनाई गई ढोक में रहने वाले 50 चरवाहों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। ये वो लोग थे, जो आतंकियों के संपर्क में आए। जिनसे आतंकियों ने मदद करने को कहा। इनमें से कुछ ने तो पुलिस को बताया कि उन्हें आतंकियों ने पैसे देकर सामान मंगवाया। लेकिन कुछ ऐसे थे, जिन्होंने पुलिस को जानकारी नहीं दी। इन्हीं में मोहम्मद लतीफ भी शामिल था। जो पूरे नेटवर्क चला रहा था।
चरवाहों की ढोक और रूट का इस्तेमाल
बता दें कि आतंकी चरवाहों के रूट इस्तेमाल कर रहे थे। इनके द्वारा ऊपरी इलाकों में बनाई गई ढोक में रह रहे थे। इन रूट का दशकों पहले से इस्तेमाल होता आया है। इन इलाकों में सेना की मूवमेंट नहीं थी। इसी का लाभ उठाकर आतंकी संगठनों ने चरवाहों से संपर्क किया। उनके जरिए घुसपैठ की और अपना नेटवर्क तैयार किया। इन मददगारों के पकड़े जाने के बाद इस बात का भी खुलासा हो गया है कि डोडा, किश्तवाड़ से लेकर रियासी और उधमपुर तक पहुंचे आतंकियों के दल ने सांबा-कठुआ में आईबी के रास्ते घुसपैठ की थी।
लतीफ को एक आतंकी के लिए मिलता था 50 हजार
सूत्रों का कहना है कि लतीफ को आतंकी नेटवर्क चलाने के लिए बड़े स्तर पर पैसा मिला है। करीब 10 से 15 लाख रुपये ले चुका है। इस पैसे से ही उसने आतंकियों के नेटवर्क खड़ा किया।
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